लाडली योजना ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बनाया जगत मामा

दिन के एक बजे से देखिये मुख्यमंत्री लाइव और जानिये उनके जीवन के कई अनछुए पहलू।

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
लाडली योजना ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बनाया जगत मामा

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सुनिए लाइव (Getty Image)

Advertisment

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में अपने कार्यकाल के 11 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। इस अवसर पर बीजेपी प्रदेश के सभी 62,926 मतदान केन्द्रों में घर-घर दीपोत्सव के रूप में मनायेगी।

लाडली योजना की वजह से वो सभी लड़कियों के बीच मामा कहे जाने लगे। लोगों के साथ उनका हर रोज़ उठना बैठना होता है, वे सड़क पर लोगों के साथ साइकिल चलाते हैं।

न्यूज़ नेशन से एक्सक्लूसिव बातचीत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा किसान परिवार से होने की वजह से मैं आम लोगों की परेशानी समझता हूं। बचपन से ही मेरे दिमाग़ में ये बात थी कि खेती हमारे देश की मज़बूती है इसलिए मैने अपने राज्य में खेती को प्रमुखता दी है।

मैंने बचपन से ही देखा कि बेटी और बेटा के बीच में लोग फर्क करते हैं। किसी भी अच्छी चीज़ के लिए लोग पहले अपने बेटे को पूछते थे। बेटी का स्थान बाद में आता था। मुझे लगा कि बेटी के साथ होने वाले अन्याय और भेदभाव को ख़त्म करना होगा। इसलिए ज़रूरी था कि पहले लोगों के बीच इस मानसिकता को बदला जाए कि लड़कियां बोझ होती है, इसलिए मैंने लाडली योजना की शुरूआत की। 

ये भी पढ़ें- शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल के 11 साल पूरे, जानिये बचपन से अब तक का सफर

उन्होंने बताया कि उन्हें नदी में तैरने का बहुत शौक है। वे आज भी गांव आते हैं तो नर्मदा में कूद जाते हैं। शिवराज की चौथे दर्जे तक की पढ़ाई जैत गांव में ही हुई। इसके बाद वो भोपाल आ गए और चाचा के साथ रहते हुए अपनी पढ़ाई शुरू कर दी। लेकिन गांव से उनका मोह कम नहीं हुआ, वो पढ़ाई के दौरान बीच-बीच में गांव आया करते थे।

समाज के पिछड़े वर्ग के लोगों को न्याय दिलाने के लिए उन्होंने अपने पिता प्रेम सिंह चौहान के ख़िलाफ़ ही बग़ावत कर दी थी। उस वक़्त वो 7वीं क्लास में पढ़ते थे।

इस कहानी को याद करते हुए शिवराज ख़ुद भी बताते हैं, 'मजदूरों को तब ढाई पाई अनाज ही मिलता था। मुझे लगता था कि दिनभर की ये मज़दूरी बहुत कम है। उन्हें कम से कम पांच पाई मिलना चाहिए। जो चरवाहे होते थे वो सुबह छह बजे से शाम तक मेहनत करते थे। मुझे लगता था कि उनके साथ न्याय नहीं हो रहा है। इसलिए मैंने मजदूरों की बैठक की और कहा कि ज़ुलूस निकालो और मांग करो। उनके साथ हमने जब ज़ुलूस निकाला तो मज़दूरी देने वाले को स्वाभाविक कष्ट हुआ। उनमें हमारा परिवार भी था, इसलिए मेरी पिटाई भी हुई। चाचाजी ने मुझे पीटा था। लेकिन मुझे लगा ये गलत है और मैंने गलत का विरोध किया।'

शिवराज के लिए नेतागीरी की पहली पाठशाला गांव में ही शुरू हुई। आगे चल कर वो मज़दूरों के नेता बने।

चौहान के नेतृत्व में बीजेपी ने वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में 230 सीटों में से 143 पर विजय के साथ रिकॉर्ड जीत हासिल की थी।

चौहान वर्ष 2013 में तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इस जीत से इन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदी के बीच साबित कर दिया कि वो लोगों की पहली पसंद हैं।

ये भी पढ़ें- दीप जलाकर शिवराज सिंह चौहान कार्यकाल के 11 साल पूरे होने का मनायेंगे जश्न

शिवराज सिंह चौहान लगातार तीसरी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने हैं। इसके साथ ही मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार सबसे लंबे समय तक बतौर मुख्यमंत्री रहने वाले व्यक्ति भी बन गए हैं। मध्यप्रदेश का गठन 1 नवंबर 1956 में हुआ। चौहान ने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सबसे पहले 29 नवंबर 2005 को शपथ ली थी।

Source : News Nation Bureau

madhya-pradesh Shivraj Singh Chouhan madhya pradesh chief minister
Advertisment
Advertisment
Advertisment