मध्य प्रदेश की राजनीति में इन दिनों उमंग सिंघार का नाम चर्चा में है. पिछले 40 साल से राजनीति में सक्रिय दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने और उन पर प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को परदे के पीछे से चलाने के आरोप लगाने वाले उमंग सिंघार ने आखिर यह हिम्मत कैसे जुटाई. आदिवासी युवा नेता कथित तौर पर राहुल गांधी कैंप के हैं, और पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके साथ दिख रहे हैं. उमंग सिंघार आदिवासी युवा नेता हैं और वह राज्य की पूर्व उप मुख्यमंत्री जमुना देवी के भतीजे हैं. दिग्विजय से जमुना देवी की टकराहट राज्य की सियासत में किसी से छुपी नहीं है. अब सिंघार भी उसी लाइन पर चल पड़े हैं.
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कांग्रेस सूत्रों के अनुसार, सिंघार को दिल्ली के कुछ बड़े नेताओं का समर्थन हासिल है और उनकी गिनती भी राहुल गांधी के करीबियों में होती है. सिंघार ने राज्य में दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा संभाला है. राज्य के कई मंत्री भी सिंह के पत्र लिखने को अनावश्यक दखल मान रहे हैं. इन मंत्रियों ने भी मुख्यमंत्री और पार्टी हाईकमान को अपने दर्द से अवगत कराया है. राजनीति के जानकारों के अनुसार, राज्य सरकार में दिग्विजय सिंह का दखल तो है, यही कारण है कि उमंग सिंघार ने उन पर पर्दे के पीछे से सरकार चलाने का आरोप लगाया. कमलनाथ ने मंत्रियों को काम करने की आजादी दी है, मगर सिंह का नौकरशाही पर असर होने के कारण कई अफसर मंत्रियों की बातों को अनसुना कर देते हैं. कई अधिकारी ऐसे हैं, जो शिवराज की सरकार में मलाईदार पदों पर थे और अब भी हैं. इन अफसरों को सिंह का संरक्षण हासिल है. यही कारण है कि मंत्रियों में असंतोष है. सिंघार ऐसे असंतुष्ट मंत्रियों के नेतृत्वकर्ता के तौर पर उभर रहे हैं. दिग्विजय के धुर विरोधी सिंधिया का भी अब सिंघार को साथ मिल गया है.
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मुख्यमंत्री कमलनाथ की हिदायत के बाद वन मंत्री उमंग सिंघार के तेवर तो कुछ नरम पड़े, मगर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुले तौर पर सिंघार के साथ होने के संकेत दे दिए हैं. उन्होंने सिंघार के आरोपों को गंभीर बताया है और साथ ही कहा है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ को दोनों पक्षों से बात करनी चाहिए. राज्य में बीते तीन दिनों से कांग्रेस में तलवारें खिंची हुई हैं. राजधानी में दिग्जिवय समर्थकों ने बुधवार को सिंघार के आवास पर प्रदर्शन किया और उनका पुतला दहन किया. साथ ही सिंघार के प्रदेश के दौरे के दौरान हर स्थान पर विरोध करने की चेतावनी भी दी. कांग्रेस की मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा का कहना है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ के हस्तक्षेप के बाद सब सामान्य हो गया है.
वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया खुलकर उमंग सिंघार का साथ देते नजर आए हैं. सिंधिया ने उमंग द्वारा लगाए गए आरोपों पर दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर कहा, 'जो आरोप लगाए गए हैं, वे गंभीर हैं. मुख्यमंत्री को दोनों पक्षों की बात सुननी चाहिए. सरकार बने अभी छह माह भी नहीं हुए और मतभेद उठ रहे हैं तो मुख्यमंत्री का दायित्व होता है कि दोनों पक्षों के साथ बैठकर सलाह-मशविरा करें और समाधान निकालें.'
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सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर हमला करते हुए शराब, रेत खनन करने वालों को संरक्षण देने का आरोप लगाते हुए उन्हें ब्लैकमेलर तक कह डाला. उसके बाद सिंघार को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने तलब किया था. वहीं दिग्विजय सिंह के पुत्र और नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि दिग्विजय सिंह का 40 साल का राजनीतिक करियर है और इस दौरान उनके खिलाफ कोई आरोप साबित नहीं हुआ है. यह बात सब जानते हैं. उन्होंने उमंग सिंघार के बयान पर सीधे-सीधे कुछ नहीं कहा. दूसरी ओर दिग्विजय सिंह इस मसले पर मीडिया से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. मीडिया रपट के मुताबिक, सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ हैं, उन्हीं से पूछिए, वही कुछ कहेंगे.'
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