मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना काल के दौरान 100 से ज्यादा अस्पातल खोल गए हैं. जनवरी 20 से मई 2021 तक भोपाल में 102 नए अस्पताल शुरू हुए हैं. इनमें 29 अस्पताल तो मार्च, अप्रैल और मई खुले हैं. बड़ी लापरवाही तो ये है कि इन अस्पतालों की किसी भी प्रकार से जांच पड़ताल नहीं की गई है. इनके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेशन जारी करते वक्त जिम्मेदार अफसरों ने डॉक्टर्स के नाम और उनके एमसीआई रजिस्ट्रेशन तक की ठीक से जांच नहीं की गई. वहीं इनमें से कई डॉक्टरों के पास तो एमबीबीएस की डिग्री तक नहीं हैं.
जानकारी के मुताबिक, एक डॉक्टर के नाम से तीन से दस अस्पताल रजिस्टर्ड हुए हैं. इसका खुलासा भोपाल के मध्यप्रदेश नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड अस्पतालों के रिकॉर्ड में हुआ है. मामला सामने आने के बाद इस पर सीएमएचओ भोपाल डॉ. प्रभाकर तिवारी ने कहा कि कोई एमबीबीएस डॉक्टर अधिकतम तीन अस्पतालों में बतौर रेसीडेंट ड्यूटी कर सकता है. यदि कोई इससे ज्यादा ड्यूटी कर रहा है तो संबंधित अस्पतालों के दस्तावेजों की जांच कराएंगे.
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अगर जांच में ये डॉक्टर गलत पाए जाते हैं तो इन पर सख्त कार्रवाई हो सकती है. नर्सिंग होम के रजिस्ट्रेशन के लिए संबंधित संस्था को गलत रजिस्ट्रेशन नंबर देने के लिए मेडिकल काउंसिल संबंधित डॉक्टर को दोषी मानकर काउंसिल का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर सकती है. इसके अलावा नर्सिंग होम का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा सकता है, क्योंकि उसने रजिस्ट्रेशन के लिए उन डॉक्टरों का कार्यरत होना बताया है, जो उनके यहां काम नहीं कर रहे.
बता दें कि मध्य प्रदेश में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के 535 नए मामले सामने आए और इसके साथ ही प्रदेश में इस वायरस से अब तक संक्रमित पाए गए लोगों की कुल संख्या 7,86,302 तक पहुंच गई. राज्य में पिछले 24 घंटों में इस बीमारी से प्रदेश में 36 और व्यक्तियों की मौत हुई है. प्रदेश में अब तक इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 8,405 हो गयी है. यह जानकारी मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने दी है.
HIGHLIGHTS
- भोपाल में जनवरी 20 से मई 2021 तक भोपाल में 102 नए अस्पताल शुरू हुए हैं
- सीएमएचओ भोपाल ने कहा कि संबंधित अस्पतालों के दस्तावेजों की जांच कराएंगे
- अगर जांच में ये डॉक्टर गलत पाए जाते हैं तो इन पर सख्त कार्रवाई हो सकती है