आदिवासियों को लेकर मध्य प्रदेश में चल रही राजनीति खत्म होने का नाम नहीं ले रही है. 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस को लेकर अब राजनीति गर्माने लगी है. मंगलवार को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अब कांग्रेस आदिवासियों को साधने की तैयारी कर रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पातालपानी जाकर टंट्या भील को पुष्पांजलि अर्पित करेंगे. भाजपा विश्व आदिवासी दिवस पर कोई आयोजन नहीं कर रही है. कांग्रेस शासनकाल में विश्व आदिवासी दिवस का अवकाश भी प्रारंभ किया गया था, जिसे भाजपा ने बंद कर दिया है.
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ विश्व आदिवासी दिवस को नहीं मानता है. यही कारण है कि भाजपा भी विश्व आदिवासी दिवस पर कोई आयोजन नहीं कर रही है. संघ का मानना है कि विश्व आदिवासी दिवस ईसाई मिशनरियों की साजिश है. संघ का मानना है कि यह विश्व मूलनिवासी दिवस है. भारत में रहने वाले सभी मूलनिवासी हैं. ऐसे में आदिवासियों को मूलनिवासी बताकर उन्हें भड़काने का प्रयास हो रहा है. यह भारत में रहने वाले लोगों के बांटने की साजिश है.
भाजपा प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल का भी कहना है कि विदेशियों के द्वारा भारतीयों को बांटने के लिए विश्व मूलनिवासी दिवस केा विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाया जाता है. कांग्रेस की मीडिया कमेटी के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि भाजपा चुनाव के समय आदिवासियों को याद करती है, जबकि कांग्रेस हमेशा उनके साथ है. ऐसे में कांग्रेस विश्व आदिवासी दिवस हर साल मनाती है.
प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव है. ऐसे में आदिवासियों को साधने में कोई दल पीछे नहीं रहना चाहता है. प्रदेश में 47 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं. इन सीटों को सरकार बनाने की कुंजी माना जाता है. ऐसे में भाजपा द्वारा आदिवासियों के लिए लगातार किए जा रहे प्रयासों से कांग्रेस चिंतित है. कांग्रेस अब विश्व आदिवासी दिवस के जरिये अपनी उपस्थिति आदिवासियों में दर्ज कराना चाहती है.
पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों के परिणामों में भी आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस को मात खाना पड़ा है. यही कारण है कि अब कांग्रेस ने भी आदिवासियों पर पूरा फोकस कर दिया है.
Source : Nitendra Sharma