महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में मंगलवार को कोविड -19 (COVID-19) के 1,002 नये मामले सामने आने के साथ कुल संक्रमितों की संख्या 32,791 हो गई. वहीं इस अवधि में 39 और लोगों की संक्रमण की वजह से मौत हुई जिससे मृतक संख्या बढ़कर 1,065 हो गई. बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. बीएमसी अधिकारी ने बताया कि मंगलवार को संक्रमण मुक्त होने के बाद 410 मरीजों को अस्पतालों से छुट्टी दी गई. इसके साथ ही मुंबई में अबतक 8,814 मरीज ठीक हो चुके हैं. बीएमसी द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक 866 नये संदिग्ध मरीजों को मंगलवार को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
अधिकारी ने बताया कि 39 मृतकों में से 25 अन्य गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त थे. नगर निकाय ने बताया कि शहर के 20 सरकारी और 13 निजी प्रयोगशालाओं में अबतक 1.74 लाख से अधिक नमूनों की जांच की गई जिनमें 18 प्रतिशत लोगों के कोरोनावायरस (Corona Virus) पॉजिटिव होने की पुष्टि हुई. उल्लेखनीय है कि मुंबई में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला 11 मार्च को सामने आया था और इस महामारी से पहली मौत 17 मार्च को हुई थी. विज्ञप्ति के मुताबिक बीएमसी ने 2,826 इमारतों को सील किया है और झुग्गी बस्तियों और चाल में 686 निषिद्ध क्षेत्र बनाए गए हैं. बीएमसी ने बताया कि संक्रमितों के संपर्क में आने की वजह से 16,000 से अधिक उच्च खतरे वाले और 52 हजार से अधिक निम्न खतरे वाले लोगों को शहर के कोविड-19 केंद्रों में भर्ती कराया गया है.
देश में कोरोना की वजह से सबसे कम मृत्यु दर
आश्चर्यजनक तरीके से भारत में कोविड-19 की वजह से होने वाली मृत्युदर अन्य देशों की तुलना में काफी कम है और यह बहुत अच्छी बात है. अंतत: हमारी दिलचस्पी रोगी के सही होने में है भले ही उसे कोविड-19 संक्रमण हो या नहीं. भार्गव ने कहा, कई तरह की अवधारणाएं हैं जैसे कि हम साफ-सफाई का उतना ध्यान नहीं रखते, हमारी प्रतिरक्षा क्षमता अधिक होती है और हमें बीसीजी तथा टीबी के टीके दिये गये हैं, लेकिन ये सभी अवधारणाएं हैं और हम इस बारे में साफ-साफ कुछ नहीं कह सकते. हालांकि अग्रवाल ने कहा कि कोविड-19 से क्रमिक तरीके से निपटने, मामलों की समय पर पहचान और उनके क्लीनिकल प्रबंधन ने मृत्युदर कम रखने में बड़ी भूमिका निभाई है. उन्होंने कहा, अगर समय पर मामलों की पहचान हो जाती है तो वे गंभीर नहीं होते और मृत्युदर खुद ही कम हो जाती है.
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भारत में प्रति लाख आबादी में मृत्युदर 0.3 फीसदी है
जब अग्रवाल से पूछा गया कि क्या हम अन्य देशों की तुलना में मृत्युदर कम बताकर जल्द महामारी पर विजय पाने की घोषणा की जा रही है तो उन्होंने कहा, हम कोई जीत की घोषणा नहीं कर रहे. अगर आपको याद हो तो हमने हमेशा कहा है कि हम लड़ाई लड़ रहे हैं. हमें आज जो भी सफलता मिलती है, अगर हम लापरवाही बरतने लगे तो हम हार जाएंगे. उन्होंने कहा, हमने सभी समुदायों, सभी नागरिकों के साथ काम करना शुरू किया और इस लड़ाई में हम उन्हें साथ लाये. हम इस बात को रेखांकित करना चाह रहे हैं कि अभी तक हम इसे संभालने में सफल रहे हैं लेकिन लड़ाई समाप्त नहीं हुई है. देश के सभी नागरिक सहयोग करें तभी लड़ाई सफल होगी. अग्रवाल ने दूसरे देशों के आंकड़े बताते हुए कहा कि भारत में प्रति लाख आबादी में मृत्युदर 0.3 प्रतिशत है जबकि दुनियाभर में एक लाख लोगों में 4.5 की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो रही है.
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कई दवाएं कोविड-19 के मरीजों पर बेअसर रहीं
उन्होंने कहा, लॉकडाउन, समय पर मामलों की पहचान और कोविड-19 के मामलों के प्रबंधन से यह संभव हुआ है. उधर भार्गव ने कहा, कोविड-19 एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में जानकारी धीरे धीरे सामने आ रही है और हमें नहीं पता कि कौन सी दवा काम कर रही है और कौन सी दवा काम नहीं कर रही है. कई दवाएं कोविड-19 के लिए इस्तेमाल के लिए निर्धारित की जा रही हैं, चाहे वह इससे बचाव के लिए हों या इलाज के लिए हों. उन्होंने कहा, हमने मिचली आने, उल्टी आने और बेचैनी होने को छोड़कर कोई प्रमुख दुष्प्रभाव नहीं पाया है. इसलिए हम हमारे परामर्श में सिफारिश करते हैं कि इसका (हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का) इस्तेमाल बचाव के लिए जारी रखना चाहिए क्योंकि इससे कोई हानि नहीं है. लाभ जरूर हो सकता है.