महाराष्ट्र के पुणे में समलैंगिक रिश्ते में रह रहे एक 46 साल के पुरुष ने अपने 23 साल के प्रेमी युवक पर शारिरिक संबंध नहीं बनाने पर मारपीट का मामला दर्ज कराया है। पुलिस के मुताबिक 46 साल के पुरुष की शिकायत पर 23 साल के युवक के खिलाफ आईपीसी की धारा 307 के तहत केस दर्ज किया और मामले की जांच कर रही है। यह वारदात बीते 19 सितंबर की बताई जा रही है। गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सैमलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था लेकिन साथ ही कार्ट ने यह भी साफ कर दिया था कि बिना सहमति के जबरदस्ती संबंध बनाने के लिए दबाव डालना अपराध बना रहेगा।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने 6 सितंबर को IPC 377 के खिलाफ दायर याचिका पर ऐतिहासिक सुनवाई करते हुए समलैगिंकता को अपराध के दायरे से बाहर कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेक्शुअल ओरिएंटेशन (यौन रुझान) बयॉलजिकल है। इस पर रोक संवैधानिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने कहा LGBT समुदाय के अधिकार भी अन्य लोगों की तरह हैं। वहीं जानवरों और बच्चों के साथ बनाए गए अप्रकृतिक यौन संबंधो को अपराध के श्रेणी में रखा गया है।
2013 का अपना ही फैसला पलटा
सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला देकर दिसंबर 2013 को सुनाए गए अपने ही फैसले को पलट दिया है। इस साल सीजेआई दीपक मिश्रा, के साथ जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की संवैधानिक पीठ ने 10 जुलाई को मामले की सुनवाई शुरु की थी और 17 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है धारा 377
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के अनुसार किसी पुरूष, स्त्री या पशुओं से अप्रकृतिक रूप से संबंध बनाना अपराध है। इस अपराध के लिए दोषी को दस साल कैद के साथ आर्थिक दंड की सजा का प्रावधान है। इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यस्क आपसी सहमति से भी समलैंगिक संबंद बनाते हैं तो यह अपराध होगा।
Source : News Nation Bureau