मायानगरी मुंबई में बिल्लियों की बढ़ती आबादी से बीएमसी को क्यों डर लग रहा है ? यह सवाल इसलिए पूछे जा रहे हैं, क्योंकि बीएमसी ने बिल्लियों की बढ़ती आबादी पर लगाम लगाने के लिए एक करोड़ का बजट तय किया है. इस काम में साथ देने के लिए बीएमसी ने कई NGOs और निजी संगठनों की मदद ले रही है. देश की सबसे अमीर महानगरपालिका यानी कि बीएमसी ने बिल्लियों की बढ़ती आबादी को देखते हुए बीएमसी बिल्लियों की नसबंदी के लिए एक मेगा कैंपेन शुरू किया है.
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आपको बात दें कि बीएमसी ने साल 2004 Animal Birth Control नाम से एक प्रोजेक्ट शुरू किया था, जिसके तहत शहर में स्ट्रे डॉग्स यानी आवारा कुत्तों की बढ़ती आबादी को रोकने के लिए कुत्तों की नसबंदी शुरू की गई थी. लेकिन अब इसी प्रोजेक्ट के तहत बीएमसी बिल्लियों की नसबंदी पर भी जोर दे रही है. नसबंदी करने वाले डॉक्टरों की माने तो बिल्लियों की आबादी कुत्तों से ज्यादा तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में उनकी आबादी को इंसानी बस्ती में बैलेंस रखने के लिए बिल्लियों की नसबंदी करना बेहद जरूरी है.
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आपको बता दें कि बीएमसी ने बिल्लियों की नसबंदी का रोडमैप भी तैयार कर लिया है. इस पूरे कैंपेन के दौरान करीब 10 हज़ार बिल्लियों के नसबंदी का लक्ष्य रखा गया है. अधिकारियों की मानें तो एक बिल्ली की नसबंदी पर 2000 से ज्यादा का खर्च आता है. इसलिए बीएमसी ने बिल्लियों की नसबंदी के लिए 1 करोड़ से ज्यादा का बजट रखा है. आपको बता दें कि बीएमसी के पास बिल्ली और कुत्ते की बढ़ती आबादी का कोई करेक्ट फिगर नहीं है. साल 2014 के बाद से इसपर कोई सेंसस नहीं किया गया है. हालांकि, 2020 में इसका सेंसस होना था, लेकिन कोरोना के कारण ये हो नहीं सका, लेकिन अधिकारियों की मानें तो शहर में कुत्तों की नसबंदी लगातार होने के कारण उनकी जनसंख्या कंट्रोल में है, पर इस बीच बिल्लियों की आबादी तेजी से बढ़ी है.
Source : Pankaj R Mishra