आखिर क्यों अजीत पवार शिंदे सरकार में हुए शामिल? छगन भुजबल ने बताई ये वजह 

एनसीपी से शिंदे सरकार में शामिल छगन भुजबल वरिष्ठ नेताओं में गिने जाते हैं. कभी शिवसेना से उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी.

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Mohit Saxena
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AjitPawar and Chhagan Bhujbal

AjitPawar and Chhagan Bhujbal( Photo Credit : social media )

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महाराष्ट्र की सियासत में अचानक हुए बड़े उलट फेर ने सभी को हैरान कर दिया है. कुछ दिनों पहले जहां एनसीपी लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीतिक तैयारियों में जुटी हुई थी, वहीं एक झटके पार्टी के अंदर इतनी बड़ी बगावत सामने आई. शरद पवार के लिए यह बड़ा झटका है. उनके भतीजे अजित पवार पार्टी के आठ नेताओं के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं. अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. इस बीच एक प्रेस कांफ्रेंस में अजित पवार के साथ छगन भुजबल ने शिंदे सरकार में शामिल होने कई कारण बताए हैं. यहां तक कि छगन भुजबल बोले कि एक बार फिर मोदी सरकार आने वाली है, ऐसा उन्हें शरद पवार ने कहा था. 

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छगन भुजबल ने मीडिया से कहा कि हम एनसीपी के सिंबल पर ही एनडीए गुट से जुड़े हैं. छगन भुजबल ने कहा कि हम सभी अजित पवार के संग खड़े हैं.  छगन भुजबल ने  कहा कि शरद पवार ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अगले चुनाव मोदी ही सरकार बनाएंगे. उन्होंने कहा कि मोदी की लोकप्रियता आज भी वैसे ही बनी हुई है. ऐसे में हम सभी ने  एनडीए में शामिल होने का निर्णय लिया. छगन भुजबल ने कहा कि कुछ लोग ये भी कहेंगे कि केंद्रीय एजेंसियों के भय से अजित पवार ने यह निर्णय लिया है. मगर वे ये साफ कर दें  कि उनमें से बहुत से ऐसे विधायक हैं, जिन पर किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगा है. हम लोगों ने राज्य के विकास को लेकर यह निर्णय लिया है. हम सभी पीएम की अगुवाई में काम करनां चाहते हैं. 

कौन हैं छगन भुजबल 

अजित पवार के बाद से छगन भुजबल का नाम बगावत में सबसे आगे देखने को मिल रहा है. छगन भुजबल ने 1960 में अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. बालसाहेब ठाकरे से प्रभावित होकर वह शिवसेना में शामिल हो गए थे. इससे पहले वह सब्जियां बेचकर अपना गुजारा किया करते थे. शिवसेना में काफी समय तक रहने के बाद 1991 में भुजबल शरद पवार की पार्टी एनसीपी में शामिल हो गए. भुजबल दो बार मुंबई के मेयर भी रह चुके हैं. महाराष्ट्र सदन घोटाले में उनका नाम सामने आया था. मुंबई सेशन कोर्ट ने 2021 में छगन और उनके परिवार के सदस्यों को घोटाले के आरोप से बरी किया था. उस समय वह महाराष्ट्र के खाद्य आपूर्ति मंत्री थे.

 

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