Advertisment

Congress: आखिर राहुल गांधी को अशोक गहलोत से इतना प्यार क्यों ? हरियाणा हारने के बाद महाराष्ट्र में जिम्मेदारी

कांग्रेस ने यह वादा किया था कि वह अपनी गलतियों से सबक लेगी, लेकिन आगामी महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की सूची देखकर ऐसा लगता है कि पार्टी को अपनी पूर्व की गलतियों से कोई लेना-देना नहीं है.

author-image
Garima Sharma
New Update
ashok_gehlot_rahul_gandhi-sixteen_nine

आखिर राहुल गांधी को अशोक गहलोत से इतना प्यार क्यों ? हरियाणा हारने के बाद महाराष्ट्र में जिम्मेदारी

Advertisment

कांग्रेस पार्टी ने हरियाणा की हार के बाद आत्ममंथन करने का वादा किया था. लेकिन जब महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों के लिए पर्यवेक्षकों की सूची देखी गई, तो ऐसा प्रतीत होता है कि पार्टी ने अपनी गलतियों से कोई सबक नहीं सीखा है. हाल ही में AICC ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षकों और समन्वयकों की लिस्ट जारी की. इस सूची में तीन पूर्व मुख्यमंत्री और कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं, जिनमें अशोक गहलोत, चरणजीत सिंह चन्नी और भूपेश बघेल जैसे नाम शामिल हैं. ये वही नेता हैं जिनकी पिछली चुनावों में परफॉर्मेंस निराशाजनक रही है. ऐसे में सवाल उठता है कि पार्टी क्यों इन पुरानी टीमों पर भरोसा कर रही है?

अशोक गहलोत की भूमिका

हरियाणा में गहलोत का चुनावी प्रभारी बनना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है. उनकी सुस्त रणनीति और सीमित सक्रियता ने पार्टी को नुकसान पहुँचाया. गहलोत की निष्क्रियता से यह स्पष्ट है कि उन्हें अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोई रुचि नहीं थी. ऐसे में फिर से उन्हें मौका देने का निर्णय पार्टी की सोच पर सवाल उठाता है.

युवा नेताओं की अनदेखी

सचिन पायलट को मराठवाड़ा की जिम्मेदारी सौंपी गई है, लेकिन यह उनके अनुभव और क्षमताओं के मुकाबले बहुत कम है. अगर कांग्रेस को सचिन पायलट जैसे युवा नेताओं पर भरोसा करके उन्हें और जिम्मेदारियाँ देती, तो संभवतः पार्टी को बेहतर परिणाम मिलते. पायलट की युवा लोकप्रियता और मेहनत को नजरअंदाज करना एक बड़ा नुकसान है.

परिवर्तन की आवश्यकता

कांग्रेस का दावा है कि वह अपनी गलतियों से सीखेगी, लेकिन मौजूदा पर्यवेक्षकों की सूची इस बात को साबित नहीं करती. पार्टी को नए चेहरों और विचारों की आवश्यकता है ताकि वह चुनावी मैदान में मजबूती से उतर सके. यदि कांग्रेस अपनी पुरानी सोच और रणनीतियों पर अड़ी रही, तो उसे आने वाले चुनावों में और भी अधिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा. युवाओं को आगे लाने और नई रणनीतियों को अपनाने का समय आ गया है, नहीं तो कांग्रेस के आत्ममंथन का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा.

congress rahul gandhi Ashok Gehlot 15 MLA of Congress Congress in Maharashtra Akhilesh Yadav and rahul gandhi
Advertisment
Advertisment