राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले मुंबई पुलिस ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं, खासकर शहर के संवेदनशील इलाकों में. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि निषेधाज्ञा पहले से ही लागू है और शहर में फैसले का जश्न मनाने या इस पर दुख प्रकट करने के लिए किसी तरह के कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी. दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद शहर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए थे. प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले इस मामले में फैसला सुना सकते हैं.
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मुंबई पुलिस आयुक्त संजय बर्वे ने पत्रकारों एवं धर्म गुरुओं समेत मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रमुख सदस्यों के साथ एक बैठक की और उनसे शीर्ष अदालत के फैसले को स्वीकार करने की अपील की. अधिकारी ने कहा, “संवेदनशील इलाकों में ज्यादा एहतियात के साथ सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. शीर्ष अदालत का जो भी फैसला आए, प्रत्येक व्यक्ति को इसे किसी समुदाय के सदस्य की तरह नहीं बल्कि देश के एक नागरिक के तौर पर स्वीकार करना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपायों के तहत पुलिस ने चार से 18 नवंबर तक निषेधाज्ञा लागू कर दी है जो लोगों के गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने को प्रतिबंधित करता है. उन्होंने कहा, “फैसले के बाद शहर में किसी भी समुदाय या समूह को जश्न या दुख मनाने की अनुमति नहीं होगी.”
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अधिकारी ने कहा कि शहर पुलिस का सोशल मीडिया निगरानी प्रकोष्ठ एवं साइबर सेल फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टाग्राम और इस तरह के अन्य मंचों पर होने वाली गतिविधियों पर नजर रखेगा. उन्होंने कहा, “किसी समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाली आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
अधिकारी ने कहा कि नागरिकों से अफवाहों में यकीन न करने की अपील की गई है और इस तरह की कोई भी बात सामने आने पर पुलिस को सूचित करने को कहा गया है. उन्होंने कहा, “लोगों को किसी भी संदिग्ध व्यक्ति या गतिविधि की सूचना देनी चाहिए और शहर को सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण बनाए रखने में पुलिस का सहयोग करना चाहिए.”
Source : भाषा