हिन्दुओं (Hindu) के सबसे बड़े आराध्य श्रीराम (SriRam) का अयोध्या में मंदिर बनने का रास्ता सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है. अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को विवादित पूरी 2.77 एकड़ जमीन राम लला को दे दी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानूनी तौर पर श्रीराम को एक व्यक्ति मानते हुए अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर का रास्ता साफ कर दिया है. इसके बाद महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टी मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि आज मैं बहुत खुश हूं. कार सेवकों का बलिदान बेकार नहीं गया.
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मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने कि आज मैं बहुत खुश हूं. पूरे संघर्ष के दौरान कई कारसेवकों ने बलिदान दिया था. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उनका बलिदान बेकार नहीं गया. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण जल्द-से-जल्द होना चाहिए. राम मंदिर के साथ-साथ राष्ट्र में राम राज्य भी होना चाहिए, यही मेरी इच्छा है. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिन्दुओं की आस्था और विश्वास (faith and belief) को दरकिनार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन माह में राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट और योजना बनाने का आदेश दिया है. साथ ही मुस्लिम पक्ष के लिए अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है.
MNS chief Raj Thackeray: I am happy today. All 'karsevaks' who gave sacrifices during the entire struggle..their sacrifice has not gone waste.Ram Temple must be constructed at the earliest. Along with Ram Temple, there should also be ‘Ram Rajya’ in the nation,that is my wish. pic.twitter.com/kUtg2cHTFN
— ANI (@ANI) November 9, 2019
वहीं, अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद नहीं गिरी होती तो कोर्ट का फैसला क्या आता. बोले कि छह दिसंबर के दिन क्या हुआ था, इसे हम अपनी आने वाली नस्लों को बताएंगे कि छह दिसंबर को अयोध्या में क्या हुआ था. छह दिसंबर का मामला मुसलमानों का मुद्दा नहीं है. यह भारत का मामला है. हमें मस्जिद के लिए दान की जमीन की जरूरत नहीं है, हम मस्जिद के लिए जमीन खरीद सकते हैं.
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असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने भी आज अपना असली रंग दिखा दिया है. कांग्रेस पार्टी पाखंडी और धोखेबाजों की पार्टी है. उन्होंने आगे कहा कि अगर 1949 में मूर्तियों को नहीं रखा गया होता और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ताले नहीं खुलवाए होते तो मस्जिद अभी भी होती. वहीं, नरसिम्हा राव ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया होता तो मस्जिद अभी भी होती.