Maharashtra: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ ही महीने शेष बचे हैं. उससे पहले प्रदेश का सियासी पारा हाई हो चुका है. प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी खटमल, औरंगजेब, अहमद शाह अब्दाली तक पहुंच चुका है. इस बीच जेल में बंद पूर्व पुलिस अधिकारी ने एक बड़ा खुलासा किया है. सचिन वाजे ने महाराष्ट्र के दो पूर्व बड़े मंत्री का नाम लेते हुए चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा कि तत्कालीन उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री जयंत पाटिल और महाविकास अघाड़ी की सरकार में गृह मंत्री अनिल देशमुख पर बड़े आरोप लगाए हैं.
सचिन वाजे ने इन बड़े नेताओं पर लगाए आरोप
सचिन वाजे ने दोनों ही बड़े मंत्रियों पर पैसे उगाही का आरोप लगाते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लेटर लिखा है. इसमें उन्होंने दावा किया है कि अनिल देशमुख अपने पीए के जरिए पैसे वसूलते थे. हालांकि उनके इन आरोपों पर अब तक जयंत पाटिल ने किसी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
#WATCH | Maharashtra Deputy Chief Minister Devendra Fadnavis says, "The Chandiwal Commission report was submitted during the tenure of the Maha Vikas Aghadi, they did not take any action on it. As far as Anil Deshmukh is concerned, he was the Home Minister, he made Paramvir Singh… pic.twitter.com/8Ezmd04EWB
— ANI (@ANI) August 4, 2024
महाराष्ट्र में बड़ा सियासी 'खेल'
आपको बता दें कि महाराष्ट्र में अवैध उगाही का मामला इन दिनों सुर्खियों में है. इससे पहले उद्धव की सरकार में गृह मंत्री अनिल देशमुख ने आरोप लगाते हुए यह दावा किया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तीन साल पहले ही उद्धव ठाकरे समेत कई नेताओं पर झूठा हलफनामा देने का दवाब बनाया था. इस बीज जेल में बंद पूर्व पुलिस अधिकारी ने महाविकास अघाड़ी पार्टी के नेताओं पर बड़े आरोप लगाए हैं. जिससे सियासी गर्माहट बढ़ चुकी है.
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वाजे के आरोपों पर फडणवीस ने दिया जवाब
वहीं, इन सबके बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सचिन वाजे के आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि चांदीवाल आयोग की रिपोर्ट महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में सौंपी गई थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. उस समय अनिल देशमुख गृह मंत्री थे. उन्होंने ही परवीर सिंह को सीपी बनाया था और वाजे को भी नियुक्त किया था. वहीं, जब परमवीर सिंह ने अपना बयान दिया तो हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली और हाई कोर्ट ने ही केस सीबीआई के हाथों में सौंप दी. इसलिए इसमें केंद्र सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं था और ना ही किसी और का कोई दबाव था. हाई कोर्ट में उस समय के मुख्य न्यायाधीश की बेंच ने जो फैसला दिया था, उसके बाद लगातार जब भी वह जमानत के लिए कोर्ट गए, और उसे कब बेल मिली. आप फैसले को भी देख सकते हैं और यह क्लियर हो जाएगा कि वह दोषी है या निर्दोष.