शिवसेना में टूट से महाराष्ट्र की राजनीति में घमासान मचा हुआ है. सभी तरफ से राजनीतिक शह मात का खेल जारी है. शिवसेना में मची सियासी उठापटक को विपक्षी दल भाजपा की खरीद फरोख्त की राजनीति का नतीजा बता रही है. वहीं, भाजपा खुद को इससे पूरी तरह अलग बताने में लगी है. शिवसेना में मचे घमासान पर भाजपा नेता रावसाहेब पाटिल दानवे ने मुंबई में पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठक के बाद कहा कि शिवसेना का कोई विधायक हमारे संपर्क में नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हमने एकनाथ शिंदे से भी बात नहीं की है. यह शिवसेना का अंदरूनी मामला है. भाजपा का इससे कोई लेना-देना नहीं है. हम सरकार बनाने का दावा नहीं कर रहे हैं.
2019 में 3 दिन में गिर गई थी भाजपा सरकार
माना जा रहा है कि भाजपा के इस बयान के पीछे 2019 का वो डर है, जब एनसीपी में तोड़फोड़ कर सरकार बनाने के बाद तीन दिन में ही सरकार गिर गई थी. लिहाजा, भाजपा किसी जल्दबाजी में नजर नहीं आ रही है. भाजपा पहले बाहर बैठकर यह देखना चाहती है कि शिवसेना में मचे बवाल में किसका पलड़ा भारी पड़ता है और एकनाथ शिंदे कितने शिवसेना के विधायकों को अपने पक्ष में कर पाते हैं. उसके बाद राज्य का जो सियासी गणित उभरकर सामने आएगा. उसमें अगर भाजपा और शिंदे गठबंधन के पास पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिखाई देगा, तभी भाजपा अपने पत्ते खोलेगी.
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विरोधियों के निशाने हैं भाजपा
भाजपा भले ही शिवसेना में मचे घमासान से खुद को अलग बता रही है हो, लेकिन राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा जोरों पर है कि शिवसेना में तोड़फोड़ की सारी कवायद भाजपा के इशारे पर हो रही है. यही वजह है कि शिवसेना के बागी विधायक पहले भाजपा शासित गुजरात गए और उसके बाद भाजपा शासित असम में डेरा डाले हुए हैं.
HIGHLIGHTS
- भाजपा ने महाराष्ट्र में जारी घमासान को शिवसेना का अंदरूनी मामला बताया
- भाजपा ने शिवसेना के किसी भी नेता के संपर्क में होने से साफ किया इनकार
- विरोधी भाजपा को बता रहे हैं घटना का मास्टरमाइंड, खरीद फरोख्त का भी आरोप