महाराष्ट्र में नई सरकार एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी है. बीजेपी के पास 113 से ज्यादा विधायक होने के बाद भी एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया. इस बात का दर्द न केवल कार्यकर्ताओं के मन में है, बल्कि महाराष्ट्र के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के अंदर भी है और आज वहीं दर्द राज्य की कार्यकारिणी में दिखा. जब कार्यकारिणी में आए लोगों को संबोधित करते हुए चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि हम सब ने सीने पर पत्थर रखकर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है, हम लोगों के मन में बहुत दर्द था, लेकिन महाराष्ट्र में उस दर्द को झेलते हुए हमने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बनी नई सरकार के साथ चलने का फैसला किया.
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चंद्रकांत पाटिल के इस वीडियो से महाराष्ट्र में सियासी पारा चढ़ गया. एकनाथ शिंदे ग्रुप और बीजेपी की बनी नई सरकार का मंत्रिमंडल भी अभी गठित नहीं हुआ है, लेकिन उसके पहले बीजेपी के प्रदेश कार्यकारिणी में प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देने को लेकर जो बयान दिया वह बीजेपी के लिए सरदर्द बन गया. एकनाथ शिंदे का बयान सामने आने के बाद शिवसेना के उद्धव ठाकरे ग्रुप के प्रवक्ता आनंद दुबे ने तंज कसते हुए कहा कि चंद्रकांत पाटिल का यह दर्द यह बताता है कि सरकार बनने के बाद भी सब कुछ ठीकठाक नहीं है. शायद इसीलिए मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो रहा है और तो और जिस तरीके से आदित्य ठाकरे कह रहे हैं कि सरकार 6 महीने में गिर जाएगी यह उसकी शुरुआत है.
इसे लेकर एनसीपी ने भी टिप्पणी की. एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि इस सरकार का भविष्य सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिका हुआ है और यह पूरी की पूरी सरकार संवैधानिक है, जिसके कारण एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया गया. चंद्रकांत पाटिल को इसी बात का दर्द है.
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विपक्ष के लगातार हमले के बाद इस बयान पर सफाई देने के लिए बीजेपी के नेता आशीष शेलार सामने आए. आशीष शेलार ने कहा कि यह चंद्रकांत पाटिल का बयान नहीं था. बल्कि कार्यकर्ताओं के भीतर जो भावना थी वह भावना चंद्रकांत पाटिल ने व्यक्त की थी, जबकि यह उनका बयान नहीं है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के इस बयान के बाद बीजेपी के नेता ही बैकफुट पर हैं. यही वजह है कि बीजेपी ने कार्यकारिणी के उस वीडियो को डिलीट कर दिया, जिसमें चंद्रकांत पाटिल का यह बयान था. बीजेपी को पता है कि इस तरीके के बयान से एकनाथ शिंदे ग्रुप और बीजेपी के भीतर दूरियां बढ़ सकती हैं और उससे नई सरकार को खतरा उत्पन्न हो सकता है.