अगर गणपति उत्सव का डीजे हानिकारक हो सकता है तो ईद-मीलाद उन नबी के जुलूस का डीजे क्यों नहीं…यह टिप्पणी है बॉम्बे हाईकोर्ट की. बॉम्बे हाईकोर्ट में आज एक जनहित पर सुनवाई हुई, जो डीजे से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी थी. इसी मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यह सवाल पूछा.
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हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजे का जो प्रभाव गणपति उत्सव में होगा, वही प्रभाव अन्य कार्यक्रमों में भी डीजे बजने से होगा. बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने तेज ध्वनि से होने वाले नुकसान से राहत दिलाने की गुहार की थी.
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यह है पूरा मामला
बता दें, पुणे के चार व्यापारियों ने जनहित याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने कहा कि न कुरान और न तो हदीस ने त्योहार के लिए डीजे और लेजर लाइट के इस्तेमाल के लिए कहा है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि धार्मिक त्योहारों में भी ध्वनि-प्रदूषण के नियमों का पालन करना आवश्यक है. कोई भी धर्म या समुदाय डीजे और स्पीकर के इस्तेमाल को संवैधानिक अधिकार नहीं कह सकता.
याचिका दायर करने से पहले बुनियादी शोध आवश्यक
सुनवाई करते हुए पीठ ने पूछा कि क्या लेजर लाइटे सच में हानिकारक हैं. क्या इसके तर्क में आपके पास कोई वैज्ञानिक अध्य्यन या फिर सबूत है. मोबाइल टावरों को लेकर भी काफी अधिक हंगामा है. लेकिन जब तक वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध नहीं होता कि लेजर हानिकारक हैं, तब तक हम इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं कर सकते. आपको जनहित याचिका दायर करने से पहले बुनियादी शोध तो करनी चाहिए.
जाकर पहले शोध करो
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि आपको प्रभावी निर्देश जारी करने में अदालत की मदद करनी चाहिए. हम विशेषज्ञ नहीं हैं. आप सोचते हो कि हम हर बीमारी का इलाज हैं. ऐसा नहीं है. जाइये और पहले शोध की गहराई में उतरो.
‘गणेश पूजा का DJ हानिकारक है तो ईद के जुलूस का क्यों नहीं’, जानें बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्यों की यह टिप्पणी
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि अगर गणपति पूजा का डीजे हानिकारक है को ईद के जुलूस का डीजे क्यों नहीं. अदालत ने याचिकाकर्ता को सलाह दी है कि वे पहले शोध करें.
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अगर गणपति उत्सव का डीजे हानिकारक हो सकता है तो ईद-मीलाद उन नबी के जुलूस का डीजे क्यों नहीं…यह टिप्पणी है बॉम्बे हाईकोर्ट की. बॉम्बे हाईकोर्ट में आज एक जनहित पर सुनवाई हुई, जो डीजे से होने वाले ध्वनि प्रदूषण से जुड़ी थी. इसी मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यह सवाल पूछा.
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हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि डीजे का जो प्रभाव गणपति उत्सव में होगा, वही प्रभाव अन्य कार्यक्रमों में भी डीजे बजने से होगा. बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने तेज ध्वनि से होने वाले नुकसान से राहत दिलाने की गुहार की थी.
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यह है पूरा मामला
बता दें, पुणे के चार व्यापारियों ने जनहित याचिका दायर की थी. इसमें उन्होंने कहा कि न कुरान और न तो हदीस ने त्योहार के लिए डीजे और लेजर लाइट के इस्तेमाल के लिए कहा है. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि धार्मिक त्योहारों में भी ध्वनि-प्रदूषण के नियमों का पालन करना आवश्यक है. कोई भी धर्म या समुदाय डीजे और स्पीकर के इस्तेमाल को संवैधानिक अधिकार नहीं कह सकता.
याचिका दायर करने से पहले बुनियादी शोध आवश्यक
सुनवाई करते हुए पीठ ने पूछा कि क्या लेजर लाइटे सच में हानिकारक हैं. क्या इसके तर्क में आपके पास कोई वैज्ञानिक अध्य्यन या फिर सबूत है. मोबाइल टावरों को लेकर भी काफी अधिक हंगामा है. लेकिन जब तक वैज्ञानिक रूप से यह सिद्ध नहीं होता कि लेजर हानिकारक हैं, तब तक हम इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं कर सकते. आपको जनहित याचिका दायर करने से पहले बुनियादी शोध तो करनी चाहिए.
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जाकर पहले शोध करो
हाईकोर्ट की बेंच ने कहा कि आपको प्रभावी निर्देश जारी करने में अदालत की मदद करनी चाहिए. हम विशेषज्ञ नहीं हैं. आप सोचते हो कि हम हर बीमारी का इलाज हैं. ऐसा नहीं है. जाइये और पहले शोध की गहराई में उतरो.
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