महाराष्ट्र में भारी सियासी उठापटक के बाद आखिकार आज कैबिनेट विस्तार हो गया. शिंदे सरकार में शामिल हुए अजित पवार गुट के कुछ विधायकों को मंत्री पद की शपथ के बाद उन्हें विभागों का बंटवारा कर दिया गया है. डिप्टी सीएम बने एनसीपी नेता अजित पवार को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी मिली है. इसके साथ ही उनके हिस्से योजना विभाग भी आया है. वहीं शरद पवार के भरोसेमंद कहे जाने वाले और अब अजित पवार के विश्वसनीय पात्र एनसीपी नेता छगन भुजबल को भी अहम मंत्रालय दिया गया है. इसके अलावा धनंजय मुंडे और हसन मुशरीफ भी अहम विभाग मिले हैं
गौरतलब है कि महाराष्ट्र में लंबी सियासी हलचल के बाद अजित पवार अपने 9 विधायकों के साथ शिंदे सरकार में शामिल हो गए थे. शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अजित पवार को कोई मालदार विभाग मिलेगा. अजित पवार भी वित्त मंत्रालय की चाह रख रहे थे. अजित की इच्छा को देखते हुए शिंदे सरकार ने नवनियुक्त मंत्रियों के मंत्रालयों पर अंतिम मुहर लगा दी. इन मंत्रियों को मिले ये विभाग
वित्त मंत्रालय- अजित पवार
कृषि- धनंजय मुंडे
चिकित्सा शिक्षा - हसन मुश्रीफ
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति - छगन भुजबल
खाद्य एवं औषधि प्रशासन - धर्मराव अत्राम
सहकार-दिलीप वलसे पाटिल
खेल - अनिल भाईदास पाटिल
महिला एवं बाल कल्याण - अदिति तटकरे
एनसीपी कोटे में आए अहम सात विभाग
बता दें कि एनसीपी के कोटे में सात महत्वपूर्ण मंत्रालय आए हैं, इसमें वित्त मंत्रालय अजित पवार को मिलने को लेकर लंबी बैठक चली थी. जिसपर सरकार ने अजित पवार को वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गै. इसके अलावा एनसीपी को सहकारी समितियां, महिला और बाल विकास, कृषि, योजना,खाद्य और नागरिक आपूर्ति, राहत और पुनर्वास, चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय भी मिल गया है.
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चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
2 जुलाई को अजित पवार ने 9 विधायकों के साथ एनडीए का दामन थाम लिया था. एनडीए में शामिल होने के बाद अजित पवार ने पीएम मोदी की जमकर तारीफ की थी. अजित पवार ने कहा था कि पीएम के नेतृत्व में देश तेजी से विकास कर रहा है. वहीं, एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ने अजित पवार समेत 9 विधायकों को अस्थायी तौर पर निलंबित करने की मांग की है. इतना ही नहीं पार्टी के सिंबल और चुनाव चिह्न को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुंच चुका है. अजित पवार गुट का दावा है कि एनसीपी के 54 विधायकों में से 40 विधायकों का उन्हें समर्थन हासिल है. अजित पवार ने इसको लेकर चुनाव आयोग से उन्हें चुनाव चिह्न और सिंबल देने का आग्रह किया है.