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महाराष्ट्र में ईद-ए-मिलाद जुलूस की तारीख में बदलाव, अब ये पार्टी कर रही एक दिन के शराब बंदी की मांग

वारिस पठान ने महाराष्ट्र सरकार से ईद-ए-मिलाद पर 18 सितंबर को जुलूस के लिए छुट्टी और एक दिन की शराबबंदी की मांग की, ताकि धार्मिक भावनाओं का सम्मान हो और सामुदायिक सौहार्द्र बना रहे.

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Ritu Sharma
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Eid-e-Milad

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Maharashtra Politics News: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख नेता वारिस पठान ने महाराष्ट्र सरकार से ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के अवसर पर एक दिन की शराबबंदी लागू करने की अपील की है. यह मांग उलेमाओं और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक के बाद की गई. पठान ने बताया कि ईद-ए-मिलाद का जुलूस अब 18 सितंबर को निकाला जाएगा, क्योंकि 17 सितंबर को गणपति विसर्जन का पर्व है.

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विसर्जन के कारण तारीख बदली गई

आपको बता दें कि वारिस पठान ने एक वीडियो संदेश के जरिए बताया कि बैठक में सभी प्रमुख मुस्लिम राजनीतिक प्रतिनिधियों और उलेमाओं को बुलाया गया था. इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 17 सितंबर को गणपति विसर्जन होने के कारण उस दिन हिंदू समुदाय बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाते हैं. इसलिए, आपसी सौहार्द्र और शांति बनाए रखने के उद्देश्य से ईद-ए-मिलाद के जुलूस को 18 सितंबर तक स्थगित किया गया है. पठान ने इस निर्णय को उलेमाओं का सामूहिक निर्णय बताया और इसे सिर आंखों पर रखने की बात कही.

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सरकार से एक दिन की छुट्टी और शराबबंदी की अपील

वहीं आपको बता दें कि वारिस पठान ने महाराष्ट्र सरकार से यह भी अपील की कि 18 सितंबर को ईद-ए-मिलाद के अवसर पर एक दिन की आधिकारिक छुट्टी घोषित की जाए. साथ ही उन्होंने मांग की कि इस दिन मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं को सम्मान देते हुए शराब की बिक्री पर भी एक दिन की रोक लगाई जाए. पठान ने कहा कि सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे को ध्यान में रखते हुए मुसलमानों की भावनाओं को सम्मान दे और उनकी इस मांग पर विचार करे.

सौहार्द्र और शांति की मिसाल

इसके अलावा आपको बता दें कि वारिस पठान का यह कदम सामाजिक और धार्मिक सौहार्द्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है. दोनों धर्मों के त्योहार एक ही दिन होने के कारण, यह निर्णय समाज में शांति और एकता की भावना को मजबूत करने के लिए उठाया गया है. मुसलमानों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए पठान ने सरकार से एक दिन की शराबबंदी और छुट्टी की मांग रखी, ताकि इस पवित्र दिन को शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण ढंग से मनाया जा सके.

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