महाराष्ट्र में मंत्रिमंडल का गठन महीनों से लटका है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अभी तक अपने कैबिनेट का गठन नहीं कर सके हैं. मंत्रिपरिषद के वजूद में न आने से राज्य और उसके बाहर अफवाहों का दौर चल रहा है. दरअसल, महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग तक पहुंच गया है. एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद भी महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट खत्म नहीं हुआ है. राज्य अब भी राजनीतिक अस्थिरता से उबरा नहीं है. लेकिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का दावा है कि मंत्रिपरिषद के विस्तार में देरी के कारण राज्य सरकार का कामकाज किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुआ है और जल्द ही और मंत्रियों को शामिल किया जाएगा.
शिवसेना में विद्रोह के कारण शिवसेना प्रमुख और राज्य के तत्कालीन मुक्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे के बाद शिंदे ने 30 जून को मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था. भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा समर्थित सरकार के उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिन्होंने शिवसेनामें विद्रोह का नेतृत्व किया.
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि, “सरकार का काम किसी भी तरह से प्रभावित नहीं हुआ है. निर्णय लेने की प्रक्रिया प्रभावित नहीं हुई है. मैं और उपमुख्यमंत्री निर्णय लेते रहे हैं और सरकार के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है. शिंदे शनिवार शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आजादी का अमृत महोत्सव राष्ट्रीय समिति और रविवार को नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में भाग लेने के लिए राष्ट्रीय राजधानी में हैं. शिंदे ने कहा कि दिल्ली का यह दौरा मंत्रिपरिषद के विस्तार से बिल्कुल भी जुड़ा नहीं है.
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इस दौरान मुख्यमंत्री ने कैबिनेट विस्तार में देरी के बारे में सवालों से परहेज किया. इस सप्ताह की शुरुआत में, फडणवीस राज्य में राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए भाजपा नेतृत्व के साथ बैठक के लिए राष्ट्रीय राजधानी में थे, जबकि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकार बदलने के संबंध में याचिकाओं को सुनना जारी रखा. शिंदे अस्वस्थ थे और डॉक्टरों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी, और वह वापस मुंबई चले गए. शिंदे और फडणवीस दो सदस्यीय कैबिनेट के रूप में महाराष्ट्र पर कब्जा जमाए हैं, जाहिर तौर पर मंत्रिपरिषद में नए सदस्यों को जोड़ने से पहले शीर्ष अदालत के फैसले का इंतजार कर रहे हैं.