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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में परिवारवाद की राजनीति, कुछ सीटों पर पति-पत्नी तो कुछ पर चाचा-भतीजे का होगा मुकाबला

महाराष्ट्र में इस बार चुनावी मुकाबला कुछ अलग ही नजर आ रहा है, जहां कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में हैं. इससे राजनीति में रिश्तेदारों के बीच तकरार और प्रतिस्पर्धा का एक नया अध्याय खुलने जा रहा है.

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Garima Sharma
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महाराष्ट्र में 20 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर दिलचस्प और सियासी दृष्टि से खास मुकाबले देखने को मिलेंगे. इस बार चुनावी मैदान में कई परिवारों के सदस्य एक-दूसरे के खिलाफ उतर रहे हैं, जिससे रिश्तेदारों के बीच तकरार और प्रतिस्पर्धा का नया अध्याय शुरू हो रहा है. वंशवाद की राजनीति के साथ-साथ यह चुनाव सियासी रिश्तों के जटिल पहलुओं को भी उजागर करेगा. 

पवार परिवार का हाई-प्रोफाइल मुकाबला

महाराष्ट्र की राजनीति में पवार परिवार का नाम हमेशा अहम रहा है. इस बार बारामती सीट पर शरद पवार के भतीजे युगेंद्र पवार और उनके चाचा अजित पवार आमने-सामने हैं. अजित पवार, जो सात बार बारामती से विधायक रह चुके हैं, अपनी सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं. यह दूसरी बार है जब पवार परिवार के दो सदस्य बारामती में चुनावी मुकाबले में हैं, जिससे पवार परिवार के भीतर की राजनीति और भी दिलचस्प हो गई है. 

अजित पवार के भतीजे भी चुनावी मैदान में

अजित पवार के भतीजे रोहित पवार, जो शरद पवार के पोते हैं, कर्जत-जामखेड़ सीट से बीजेपी के राम शिंदे के खिलाफ चुनावी जंग में हैं. यह एक और उदाहरण है जहां पवार परिवार के सदस्य अलग-अलग पार्टी टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 

कन्नड़ में पति-पत्नी का मुकाबला

कन्नड़ निर्वाचन क्षेत्र में इस बार एक अनोखा मुकाबला देखने को मिलेगा. निर्दलीय उम्मीदवार हर्षवर्धन जाधव अपनी पत्नी संजना जाधव के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं. संजना जाधव शिवसेना के टिकट पर मैदान में हैं, और वह बीजेपी नेता रावसाहेब दानवे की बेटी हैं. यह मुकाबला राजनीतिक रिश्तों और निजी जीवन के बीच का फर्क स्पष्ट रूप से दर्शाता है.

देशमुख परिवार का चुनावी संघर्ष

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख और उनके भाई धीरज देशमुख क्रमशः लातूर शहर और लातूर ग्रामीण सीट से चुनावी मुकाबले में हैं. देशमुख परिवार के भीतर यह चुनावी संघर्ष उनके राजनीतिक प्रभाव और भविष्य को प्रभावित करने वाला हो सकता है. 

राणे परिवार का चुनावी टकराव

बीजेपी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे और निलेश राणे क्रमशः शिवसेना और बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर कुडाल और कणकवली सीट से चुनावी मैदान में हैं. राणे परिवार के इस टकराव से यह साफ होता है कि महाराष्ट्र में राजनीति सिर्फ पार्टी तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवारों के भीतर भी गहरे समीकरण होते हैं.

ठाकरे परिवार और अन्य सियासी रिश्ते

मुंबई में ठाकरे परिवार के सदस्य भी चुनावी मैदान में हैं. आदित्य ठाकरे, जो वर्तमान में शिवसेना (उद्धव बालसाहेब ठाकरे) के विधायक हैं, वर्ली सीट से दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आदित्य के चचेरे भाई और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे माहिम सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. यह परिवार की राजनीति का दिलचस्प पहलू है, जहां पार्टी और परिवार के बीच की सीमाएं धुंधली हो गई हैं. 

अन्य परिवारों के चुनावी संघर्ष

महाराष्ट्र में और भी परिवारों के सदस्य चुनावी जंग में हैं. बीजेपी के आशीष शेलार और उनके भाई विनोद शेलार, गणेश नाइक और उनके बेटे संदीप नाइक, विजयकुमार गावित और उनकी बेटी हिना गावित, और छगन भुजबल और उनके भतीजे समीर भुजबल जैसे कई परिवारों में आपसी मुकाबला देखने को मिलेगा. इन सभी चुनावी मुकाबलों से यह साफ है कि महाराष्ट्र की राजनीति अब परिवारों की निजी लड़ाई में बदल चुकी है.

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