मुंबई महानगर पालिका यानि की बीएमसी (BMC)चुनाव के लिए सभी राजनितिक पार्टियों की तैयारियां शुरू हो गयी है. महाराष्ट्र की सत्ता पलटने के बाद अब बीजेपी की नज़र बीएमसी चुनाव पर है. इस बीच आगामी चुनाव से पहले ओबीसी वार्डों के आरक्षण को लेकर बीजेपी ने पिछली सरकार पर हेरा फेरी करने का आरोप लगाया है. बीजेपी का आरोप है की ओबीसी (OBC) सीटों के आरक्षण संबंध में MCGM के चुनाव अधिकारी ने राज्य चुनाव आयोग के सामने जो डेटा रखे हैं वो झूठे हैं. इसको लेकर बीजेपी नेता और मुलुंड से विधायक मिहिर कोटेचा ने बीएमसी कमिश्नर इक़बाल सिंह चहल को पत्र लिखा है.
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मिहिर कोटेचा महाराष्ट्र बीजेपी के कोषाध्यक्ष भी हैं जिन्होंने आरोप लगाया है की बीएमसी ने कुछ राजनितिक पार्टियों के साथ मिलकर ओबीसी वार्डों के आरक्षण को लेकर हेराफेरी की है. राज्य चुनाव आयोग को गलत जानकारी दी गयी है. कोटेचा की माने तो ओबीसी (OBC) आरक्षण के लिए बने कुल 236 वार्डों में से 64 वार्डों में से अधिकांश को पहले ही आवंटित कर दिया गया है. लिहाज़ा 29 जुलाई को जो लॉटरी निकाली जाने वाली है उसमें इन वार्ड नंबरों को शामिल नहीं किया जाएगा.
बीजेपी विधायक ने बीएमसी आयुक्त को लिखे पत्र में वार्ड नं. 183 का मिसाल दीया है. साल 2007 की चुनावी सूची के अनुसार वार्ड संख्या 174 (जो आज वार्ड क्र. 183 है ) यहाँ 50% से अधिक क्षेत्र और मतदाता आम थे. साल 2007 में यह वार्ड ओबीसी रिज़र्व रखा गया था, वहीं साल 2012 और 2017 में ये वार्ड जनरल-लेडीज था. जबकि बीएमसी अधिकारी ने राज्य चुनाव आयोग को जानबूझकर ये बताया है की साल 2007 में ये वार्ड सामान्य (OPEN) था। इस पत्र को लिखकर बीजेपी नेता ने बीएमसी आयुक्त से पुरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग करते हुए ये सुनिश्चित करने को कहा है की. ओबीसी आरक्षण के लिए बने कुल 236 वार्डों में से सभी 64 वार्डों में निष्पक्ष चुनाव हो और इसलिए लॉटरी प्रणाली का उपयोग किया जाना चाहिए. कोटेचा ने बीएमसी आयुक्त को जरुरी कार्यवाई ना करने पर बॉम्बे हाई कोर्ट जाने की भी धमकी दी है.
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की महानगर पालिका यानि की बीएमसी (BMC) को इस देश के सबसे अमीर महानगर पालिका के तौर पर जाना जाता है. बीएमसी ने साल 2022 - 2023 के लिए 45 हज़ार 940 करोड़ का बजट पेश किया था. ये बजट देश के कई छोटे राज्यों के सालाना बजट से ज्यादा है. यही वजह है की महाराष्ट्र की सभी राजनितिक पार्टियों की नज़र बीएमसी की सत्ता पर रहती है. लेकिन बीते दो दशक से बीएमसी की गद्दी पर शिवसेना काबिज है. लेकिन इस बार बीजेपी पूरी ताक़त के साथ बीएमसी चुनाव लड़ने और जीतने रणनीति पर काम कर रही है.