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तीन सफल ऑपरेशन कर देवेंद्र फडणवीस बन गए महाराष्ट्र की राजनीति के डॉक्टर...

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Mohit Sharma
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Devendra Fadnavis

Devendra Fadnavis ( Photo Credit : File Pic)

"सियासत में डॉक्टर" ये शब्द थोड़ा सा लोगों को अटपटा लग रहा होगा लेकिन यह हकीकत है कि पिछले 1 महीने के भीतर तीन सफल ऑपरेशन कर महाराष्ट्र के सियासत के नए डॉक्टर देवेंद्र फडणवीस बन गए हैं । राज्यसभा चुनाव के समय वोटिंग के ठीक पहले जब देवेंद्र फडणवीस ने राज्य सभा चुनाव के लिए धनंजय महाडिक को तीसरे कैंडिडेट के तौर पर नामांकन करवाया तो पहले लोगों ने मजाक उड़ाया फिर आंकड़े गिनाए फिर बीजेपी के उम्मीदवार को हराने का दावा किया, लेकिन जैसे जैेसे वोटिंग की तारीख करीब आने लगी महाविकास अघाड़ी के तीनो पार्टी के नेताओ ने अपने विधायको को होटल में रखकर पहरेदारी शुरु कर दी । महाविकास अघाड़ी को डर था कि कुछ विधायक टूटकर बीजेपी के साथ जा सकते हैं इसलिए शिवसेना ने अपने विधायको और निर्दलीय को होटल ट्राइडेंट में रखा तो वहीं कांग्रेस और NCP ने पवई स्थित रेनिसंस और वेस्टिन होटल मे रखा ।

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विधायकों के फोन उनके परिवार वालों से बातचीत करने के लिए उनके पास ही रखे गए लेकिन सूत्र बताते हैं कि सारे विधायकों और मंत्रियों के फोन सरकार के सभी बड़े अधिकारियों ने ट्रैक कर रखे थे इस दौरान बीजेपी के लोगों ने महा विकास आघाडी के विधायकों से संपर्क करने के लिए एक विशेष कंपनी के फोन के विशेष ऐप का इस्तेमाल किया गया ताकि किसी के फोन को ट्रेक न किया जा सके ।  चुनाव के दिन विधानसभा लाए गए और सभी को उम्मीद थी कि चुनाव जीतना पक्का है लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने आंकड़ो के गणित में ऐसा उलझाया कि बीजेपी के तीनों उम्मीदवार जीत गए और शिवसेना का एक उम्मीदवार संजय पवार चुनाव हार गए । 

इस तरह 10 जून को फडणवीस ने अपना पहला आपरेशन पूरा किया । 

उसके ठीक 10 दिन बाद हो रहे एमएलसी चुनाव में 10 सीटों के चुनाव में बीजेपी ने 5 उम्मीदवार मैदान में उतारे जबकि बीजेपी के पास 4 उम्मीदवारों के लिए ही वोट था । लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने प्रसाद लाड को पांचवें उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा । राज्यसभा चुनाव के दौरान मिली करारी हार के बाद महा विकास आघाडी इस बार और ज्यादा सतर्क, राजनीतिक पंडित और आंकड़ों के जानकारों से महा विकास आघाडी के सभी नेताओं को  ट्रेनिंग दी गई  और बीजेपी के कैंडिडेट को हराने के लिए सभी पार्टियों ने मिलकर कोटा तय किया की पहले उम्मीदवार को कितने वोट दिए जाएंगे जिससे अगर सेकंड प्रेफरेंस अकाउंट करना पड़ा तो महा विकास आघाडी का छटा कैंडिडेट आसानी से चुनाव जीतकर आ सकता है । यह बात फडणवीस को पता था कि आंकड़ों के गणित में बीजेपी को पीछे करने की कोशिश की जाएगी और इस बार और ज्यादा सतर्क महा विकास आघाडी के लोग रहेंगे ।  इसलिए फडणवीस ने अपनी दूसरी चाल चलते हुए महा विकास आघाडी में शामिल निर्दलीय और शिवसेना के मिला के 21 विधायको को तोड़ लिए । इस बार 21 लोगों को तोड़ना इसलिए आसान हो गया क्योंकि राज्यसभा की तरह विधान परिषद में ओपन वोटिंग नहीं थी यहां गुप्त मतदान था । तीनों पार्टियों के लोग अपने विधायक वोटरों को आंकड़ों का गणित समझाते रहे उन्हें महा विकास आघाडी के पक्ष में मतदान करने के लिए शपथ दिलाते रहे लेकिन जब बैलट बॉक्स खुला तो बीजेपी के पांचों उम्मीदवार चुनाव जीत गए और कांग्रेस के उम्मीदवार चंद्रकांत हंडोरे चुनाव हार गए । 

 इस तरीके से देवेंद्र फडणवीस ने 20 जून को अपना दूसरा ऑपरेशन पूरा किया । 

 लोग जीत और हार के जश्न में लोग डूबे ही थे कि महा विकास आघाडी में शामिल शिवसेना के दो दर्जन विधायक रातो रात विधान परिषद चुनाव के बाद सूरत चले गए ।  21 जून को सुबह सूरत पहुंचने के बात सामने आने के बाद सियासी घमासान तेज हो गया ।  एकनाथ शिंदे बागी विधायकों के मुखिया थे जिसके बाद शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को आनन-फानन में मीटिंग के लिए बुलाया मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ मीटिंग में एकनाथ शिंदे के पास जितने विधायक थे उससे कम विधायक मीटिंग में पहुंचे ।  मीटिंग खत्म होने के बाद शिवसेना की तरफ से दावा किया गया कि सब कुछ ठीक-ठाक है और उनके विधायक उनके साथ हैं लेकिन मीटिंग खत्म होने के बाद भी विधायकों को मुंबई छोड़कर सूरत जाने का सिलसिला नहीं रुका ।  

हालांकि इस दौरान नाराज विधायकों को मनाने के लिए मुख्यमंत्री के पर्सनल असिस्टेंट मिलिंद नार्वेकर सूरत पहुंच गए और वहां पर उन्होंने शिंदे ग्रुप के विधायकों को मनाने की कोशिश की लेकिन शिंदे ग्रुप के विधायकों और खुद एकनाथ शिंदे की पहली शर्त यह थी कि बीजेपी के साथ सरकार बनाएं और महा विकास आघाडी को छोड़ दें क्योंकि महा विकास आघाडी में शामिल कांग्रेस और एनसीपी खुद तो बढ़ रही हैं लेकिन शिवसेना को समाप्त कर रही हैं, सामने चुनाव है और शिवसेना के विधायक महा विकास आघाडी के साथ रहकर चुनाव नहीं जीत सकते क्योंकि उनका कोर वोटर हिंदू का वोट नहीं मिलेगा । 

हालांकि इस दौरान शिवसेना ने अपने सभी विधायकों और मंत्रियों को अपने साथ रहने का दावा किया लेकिन शिवसेना के दावों के बाद भी मंत्रियों और विधायकों के मुंबई छोड़कर जाने का सिलसिला लगातार बना रहा । हालांकी एकनाथ शिंदे को लगा कि वह अगर सूरत में रुके तो उनके साथ रुके विधायक टूट सकते हैं इसलिए अपने सारे विधायकों को लेकर एकनाथ शिंदे सीधे गोहाटी के रेडिसन ब्लू पहुंच गए । सभी विधायकों और मंत्रियों को उन्होंने अपने साथ गुवाहाटी में रखा और एक एक करके विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे ग्रुप में शामिल होते रहे ।  आंकड़ा यह हो गया कि एकनाथ शिंदे ग्रुप के पास शिवसेना कोटे से सरकार में बने 9 मंत्री सहित निर्दलीय मिलाकर कुल 48 एकनाथ शिंदे के साथ चले गए ।

 सरकार ने हर संभव कोशिश की मंत्रियों को डराने की धमकाने की शिवसैनिक रास्तों पर उतरे हैं घरों के बाहर प्रदर्शन किया पुतले जलाए लेकिन मंत्री विधायक वापस नहीं आए, मुख्यमंत्री ने उन सभी मंत्रियों को अपने मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया ।  जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर मंजूरी मिली जिसके बाद देर रात मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया । इस तरह देवेंद्र फडणवीस का तीसरा ऑपरेशन पूरा हुआ ।  पिछले 1 महीने के भीतर देवेंद्र फडणवीस ने तीन राजनीतिक ऑपरेशन ऐसे माहौल में किया जब राज्य में बीजेपी विपक्ष में थी और महा विकास आघाडी में शामिल शिवसेना, कांग्रेस, एनसीपी सरकार के सत्ता में शामिल थी और महा विकास आघाडी के कई बड़े नेता शरद पवार से लेकर अशोक चौहान बालासाहेब थोराट जयंत पाटील अजित पवार छगन भुजबल जैसे बड़े नेता मंत्री बन सरकार के भीतर सरकार को पूरी तरीके से बचाने की कोशिश करते रहे । 

हालांकि इस क्राइसिस के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कई करीबियों ने देवेंद्र फडणवीस को फोन कर शिवसेना के भीतर मचे फूट को शांत कराने के लिए कहा और सरकार से बाहर निकलने की पेशकश कर शिवसेना और बीजेपी की सरकार बनाने की भी पेशकश की । गुवाहाटी से निकलने के ठीक 1 दिन पहले शिवसेना गुट से बागी एकनाथ शिंदे और उनके साथ रह रहे विधायकों ने 51 लाखों रुपए के मदद शिवसेना के नाम पर बाढ़ प्रभावितों के पुनर्वास के लिए आसाम के मुख्यमंत्री को दिया । 

 यह सब इसलिए किया जा रहा था क्योंकि मदद से ज्यादा इसमें कोर्ट और लीगल तरीके से चल रही इस लड़ाई में एकनाथ शिंदे ग्रुप को शिवसेना का असली ग्रुप माना जाए और अजय चौधरी के विधायक दल के नेता होने की जो विधान सभा के उपाध्यक्ष द्वारा स्वीकृति दी गई है वह कोर्ट में ना टिक सके ।  क्योंकि शिवसेना के अधिकतर विधायक और मंत्री एकनाथ शिंदे के साथ थे और ऐसे में बहुमत के आधार पर एकनाथ शिंदे ग्रुप लीडर हैं और शिवसेना का फैसला एकनाथ शिंदे ही करेंगे ताकि महा विकास आघाडी कानूनी दांवपेच में पीछे रह जाए ।  इस तरीके से देवेंद्र फडणवीस ने 30 जून के पहले ही अपना तीसरा सफल ऑपरेशन कर राजनीति के महाराष्ट्र के सफल डॉक्टर बन गए ।

Source : Abhishek Pandey

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