महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मंत्रियों के विभागों का बंटवारा कर दिया है. कैबिनेट विस्तार के बाद से विभागों के बंटवारे को लेकर तीनों दलों में माथापच्ची चल रही थी, लेकिन सहमति नहीं बन पा रही थी. आखिरकार सूत्रों ने बताया है कि उद्धव ठाकरे ने मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा कर दिया है. सूत्रों के अनुसार, एनसीपी नेता अजीत पवार को उपमुख्यमंत्री और वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है तो जयंत पाटिल सिंचाई विभाग संभालेंगे. हाउसिंग मंत्रालय जितेंद्र आव्हाड को दिया गया है. नवाब मलिक को अल्पसंख्यक मामलों का मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें कोई और विभाग भी दिया जाएगा. गृह मंत्रालय भी एनसीपी के कोटे में जाने की चर्चा है, लेकिन यह दिलीप वलसे पाटिल के खाते में जाएगा या अनिल देशमुख के, यह अभी साफ नहीं हो पाया है.
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कांग्रेस के कोटे से मंत्री बनाए गए बालासाहेब थोराट को महसूल विभाग, अशोक चव्हाण को पीडब्ल्यूडी तो यशोमति ठाकुर को महिला एवं बाल कल्याण मंत्री बनाए जाने की चर्चा है. के सी पड़वी को आदिवासी विभाग दिए जाने की बात कही जा रही है.
इससे पहले खबर आई थी कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Udhav Thackeray) के नेतृत्व में महाराष्ट्र (Maharashtra) में एनसीपी (NCP) और कांग्रेस (Congress) के सहयोग से सरकार तो बन गई, लेकिन मंत्री पद को लेकर तीनों दलों में सिर-फुटौव्वल के हालात हैं. कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) के बाद शिवसेना (Shiv Sena), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस (Congress) में अहम मंत्रालयों को लेकर सहमति नहीं बन पा रही. वहीं शिवसेना के मुखपत्र सामना के 'हितोपदेश' से हालात और बिगड़ते जा रहे हैं.
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'सामना' के संपादकीय में कांग्रेस पर हमला बोलते हुए लिखा गया है, 'कांग्रेस में प्रणिति शिंदे को मंत्री पद नहीं मिला. वह कर्तव्यवान हैं और मंत्री पद के लिए योग्य भी, लेकिन कांग्रेस के हिस्से में जो 12 का कोटा (मंत्री पद) आया उसमें उनका नाम नहीं था. ऐसे में उनके समर्थकों ने नाराज होकर सोनिया व राहुल गांधी को खून से पत्र भी लिखा. कांग्रेस से शिंदे परिवार का खून का रिश्ता है. गांधी परिवार के चलते ही सुशील कुमार शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से लेकर देश के गृह मंत्री भी रहे. यह प्रणिति शिंदे को समझना चाहिए और खून को व्यर्थ में बर्बाद करने की बदले अगले राजनीतिक युद्ध के लिए सुरक्षित रखना चाहिए.'
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सामना में आगे लिखा गया है, 'कांग्रेस विधायक संग्राम थोप्टे को भी मंत्री पद नहीं मिला. उनके समर्थकों ने भी हुड़दंग (राड़ा) किया. कांग्रेस पहले शिवसेना पर कई बार 'राड़ेबाज' (हुड़दंगी) होने का आरोप लगाती रही है, लेकिन थोप्टे के समर्थकों द्वारा किया गया काम कांग्रेस को हुड़दंगी नहीं लगता है. 'हुड़दंगी' शब्द कांग्रेस की संस्कृति को शोभा नहीं देता है.'
Source : News Nation Bureau