बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति की ओर से बनाए गए निकाहनामा को चुनौती देने वाली महिला की शादी को मान्यता देने से मना कर दिया है. लड़की ने हाई कोर्ट में कहा कि उसने बड़ी बहन के एक दोस्त को ड्राइविंग लाइसेंस (DL) दिलाने में सहयोग करने के लिए निजी दस्तावेज दिए. इसके बाद उसने इस निजी दस्तावेज की मदद से यह साबित करने के लिए झूठे दस्तावेज तैयार किए कि उन्होंने इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार निकाह किया है.
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में स्थित अमरावती में फैमिली कोर्ट के इस निष्कर्ष को बरकरार रखते हुए विवाह को हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने अमान्य घोषित कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि विवाह को स्थापित करने को कोई सबूत नहीं हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि फैमिली कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला है कि कथित शादी की तारीख पर, चंद्रकला विवाह मंडल न तो रजिस्टर्ड था और न ही विवाह प्रमाण पत्र जारी करने को अधिकृत था.
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि व्यक्ति ने सिर्फ वही निकाहनामा की कार्बन प्रतियां कोर्ट में पेश कीं. कोर्ट ने आदेश दिया कि यह विवाह के प्रमाण के रूप में स्वीकार्य नहीं था. पीठ ने कहा कि काजी की ओर से निर्मित मूल निकाहनामा कार्बन प्रतियों से मेल नहीं खाता है. ऐसे में विवाह के तथ्य के बारे में इस तरह की विसंगतियों ने संदेह पैदा किया।
आपको बता दें कि पीड़ित महिला ने फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की. उस व्यक्ति ने कोर्ट में दावा किया था कि वह उसकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी है. उन्होंने कहा कि अमरावती के एक विवाह केंद्र में दोनों ने 7 अप्रैल, 2012 को निकाह किया. हालांकि, महिला ने कहा कि उसकी बड़ी बहन के एक दोस्त ने डीएल हासिल करने में मदद के लिए उसे दिए गए दस्तावेजों का इस्तेमाल किया, ताकि विवाह के झूठे दस्तावेज तैयार किए जा सकें.
Source : News Nation Bureau