100 करोड़ की कथित वसूली के आरोपों पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ जांच की मांग लेकर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. हालांकि हाईकोर्ट ने परमबीर सिंह को ही कड़ी फटकार लगाई है. परमबीर को हाईकोर्ट ने खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि आप ने अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नहीं निभाई. अगर भ्रष्टाचार हो रहा था तो मामला दर्ज करना आपकी जिम्मेदारी थी. कोर्ट ने पूछा कि वसूली को लेकर एफआईआर क्यों दर्ज नहीं की. हाईकोर्ट के जज ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिना FIR के स्वतंत्र जांच की बात कैसे हो सकती हैं. इसके बाद हाईकोर्ट ने CBI जांच याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.
परमबीर की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, 'बिना एफआईआर के हमारे पास ऑपरचुनिटी ही नहीं है कि हम अपनी ताकत का इस्तेमाल करें. आप (परमबीर सिंह) सही कह रहे हैं कि ये सिर्फ जानकारी है. लेकिन आप सीधा हमें (कोर्ट) को लेटर लिख सकते थे. याचिका नहीं दायर करते. हाईकोर्ट के जज ने कहा, 'अगर आप कह रहे हैं कि जुर्म हुआ है तो आपने FIR दर्ज क्यों नहीं किया. ये आपका कर्तव्य था. अगर आपको पता था कि आपका बॉस ऐसे काम कर रहा है तो आपका काम था की केस दर्ज करवाते, लेकिन आपने अपना कर्तव्य पूरा नहीं किया.'
जज ने आगे कहा, 'याचिकाकर्ता आम आदमी नहीं है. उन्हें CrPC मालूम हैं, अगर उन्हें राज्य सरकार में भरोसा नहीं है तो वो दूसरों को अप्रोच कर सकते हैं. अगर आपने इस मामले में एफआईआर फाइल किया होता तो यहां याचिका दायर करना सही होता. बहुत ही रेअर मामलों में कोर्ट आदेश देता हैं कि एफआईआर दर्ज करें. क्या आपके लिए कानून को बगल में रखा जाए?'
इससे पहले हाईकोर्ट में आज सरकार और परमबीर सिंह के वकीलों के ओर से पक्ष रखा गया. सरकार की ओर से एजी आशुतोष कुंभकानी ने हाईकोर्ट में कहा कि हम भी यह जानना चाहते है कि आखिरकार पूरा मामला क्या है? साथ ही उन्होंने सारे आरोपों बेबुनियाद भी बताया. उन्होंने कहा कि ऐसे आरोप से फोर्स का मनोबल गिरता है. इस PIL का कोई मतलब नहीं है. ऐसे PIL को स्वीकार नहीं करना चाहिए.
उधर, परमबीर सिंह की तरफ से जिरह करते हुए विक्रम ननकानी ने कहा कि परमबीर की चिठ्ठी में कड़वी सच्चाई लिखी गई है. यह काफी गंभीर मामला है. फोर्स में दिक्कत कहा है यह पता चलता है. इस दौरान परमबीर सिंह ने अपने पत्र में जो आरोप लगाए है, उस पत्र को कोर्ट में पढ़ा गया. विक्रम ननकानी ने कहा कि याचिका में किए गए आरोपी पुलिस फोर्स के बड़े पद पर बैठे अधिकारी ने की है. जिसने 3 दशक सेवा दी है. जांच एजेंसी को यह भी देखना होगा. स्वतंत्र संस्था से इसकी जांच होनी चाहिए.
इस पर जस्टिस ने पूछा कि जांच किसकी होनी चाहिए? परमबीर सिंह ने FIR दर्ज क्यों नहीं कराया? FIR कहां है? केस ना दर्ज करने के लिए किसने रोका था? जिसके बाद परमबीर सिंह के वकील विक्रम ननकानी ने कहा कि मैंने याचिका में ट्रांसफर पर चैलेंज नही किया है. यह याचिका राजनीतिक लोगो द्वारा फोर्स में दखलअंदाजी का है. विक्रम नानकानी ने इंटेलिजेंस विभाग की कमिश्नर रही रश्मि शुक्ला द्वारा DGP को सौपे रिपोर्ट का जिक्र किया.
उल्लेखनीय है कि परमबीर सिंह ने गृहमंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए वसूली के आरोपों और आईपीएस रश्मि शुक्ला की ओर से पर्दाफाश किए गए ट्रांसफर पोस्टिंग घोटाले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की है. बीते दिनों परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को लेटर लिखकर अनिल देशमुख पर 100 करोड़ की वसूली के आरोप लगाए थे.
Source : News Nation Bureau