आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सोमवार को बड़ा बयान दिया है, जिसकी काफी चर्चा हो रही है. भागवत ने एक कार्यकर्म को संबोधित करते हुए कहा कि धर्म का मतलब सिर्फ पूजा नहीं होता है बल्कि इसमें सत्य, समर्पण, करुणा शामिल होता है. साथ ही संघ प्रमुख ने कहा कि हिंदू शब्द सिर्फ एक विशेषण है और यह विविधताओं को स्वीकार करने का एक प्रतीक है. इसके साथ ही जुबानी हमला बोलते हुए मोहन भागवत ने कहा कि पहले के समय में बाहरी आक्रमण होते थे, जो दिखाई देते थे, लेकिन अब वे विभिन्न रूपों में मौजूद है. ये ऐसे लोग हैं, जो देश की विकास से डरे हुए हैं. उन्हें डर है कि अगर देश का बड़े पैमाने पर विकास हो जाएगा, तो उनका कारोबार बंद हो जाएगा.
कुछ लोग देश के विकास में बाधा पहुंचा रहे- मोहन भागवत
ऐसे लोग ही देश के विकास में बाधा पहुंचाते हैं और अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल करते हैं. आगे बोलते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि ऐसे लोगों से डरने की जरूरत नहीं है. छत्रपति शिवाजी महाराज का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के समय भी ऐसी ही स्थिति थी, उस समय भी देश के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी, लेकिन धर्म की शक्ति का इस्तेमाल कर इससे निपटा गया.
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धर्म की हमेशा होगी जरूरत
अतीत की बात करते हुए उन्होंने कहा कि पहले बाहरी लोग आक्रमण करते थे, तो लोग सावधान रहते थे, लेकिन अब कई रूपों में हमले किए जा रहे हैं. इसके लिए उन्होंने ताड़का और पूतना का उदाहरण देते हुए कहा कि ताड़का एक राक्षस था, जिसका वध प्रभू राम और लक्ष्मण ने सिर्फ एक बाण से किया था. वहीं, पूतना जैसी राक्षसी का वध भगवान श्रीकृष्ण ने बाल अवस्था में ही कर दिया. आज की स्थिति भी वैसी ही हो गई है. आज भी आर्थिक, राजनीतिक, आध्यात्मिक रूप से हमले किए जा रहे हैं, जो विनाशकारी हैं. सृष्टि के आरंभ में धर्म था और अंत तक रहेगी. हमें हमेशा धर्म की आवश्यकता होगी.