महाराष्ट्र की राजनीति में बनेगा थर्ड फ्रंट? इन पार्टियों की बढ़ने वाली है टेंशन!

महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ आने वाला है. अगर यह फॉर्मूला बनता है तो इसका नुकसान ग्रामीण इलाकों में ज्यादा होगा और इसका नतीजा एनडीए और एमवीए को होगा.

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Ritu Sharma
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महाराष्ट्र की राजनीति

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Maharashtra Political News: महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा समुदाय का प्रभाव हमेशा से महत्वपूर्ण रहा है और हाल के महीनों में यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में है. मराठा आरक्षण और समुदाय के अधिकारों को लेकर बढ़ते असंतोष ने राज्य में नए राजनीतिक समीकरणों को जन्म दिया है. इसी के चलते आगामी विधानसभा चुनावों में महाराष्ट्र में महायुति और महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के बाद अब तीसरे गठबंधन की संभावनाएं मजबूत होती दिख रही हैं.

मराठा फैक्टर और तीसरा गठबंधन

आपको बता दें कि पूर्व सांसद संभाजी राजे छत्रपति ने मराठा समुदाय के हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी स्वराज पार्टी के माध्यम से आगामी विधानसभा चुनावों में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. उनके अनुसार, वे महायुति या महाविकास आघाड़ी में शामिल होने के बजाय अपने स्वतंत्र गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में उतरेंगे। मराठा आरक्षण के मुद्दे को स्थायी समाधान देने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है.

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मनोज जारांगे पाटील का समर्थन और संभावित गठबंधन

वहीं मराठा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटील, जो मराठा आरक्षण आंदोलन का प्रमुख चेहरा हैं. इस राजनीतिक चर्चा में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने संकेत दिया है कि वे चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं और आने वाले दिनों में इस पर अंतिम निर्णय लेंगे. जारांगे पाटील ने राज्य सरकार को मराठा आरक्षण देने के लिए समयसीमा भी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर 29 तारीख तक आरक्षण नहीं दिया जाता है, तो वे सरकार को सत्ता से बाहर करने के लिए कदम उठाएंगे.

इसके अलावा आपको बता दें कि संभाजी राजे और जारांगे पाटील के बीच गठबंधन की संभावना से महाराष्ट्र की राजनीति में तीसरे मोर्चे का उभार हो सकता है. अगर यह गठबंधन सफल होता है, तो इसका सीधा प्रभाव ग्रामीण इलाकों में देखा जा सकता है, जहां मराठा समुदाय का प्रभाव व्यापक है. इससे एनडीए और एमवीए दोनों को नुकसान होने की संभावना है, क्योंकि वोटों का बंटवारा सुनिश्चित है.

संभाजी राजे की रणनीति और मराठा आरक्षण

वहीं संभाजी राजे ने स्पष्ट किया है कि वे आरक्षण की स्थिरता पर चर्चा को अधिक प्राथमिकता देंगे. उनका कहना है कि इससे पहले दो बार मराठा आरक्षण मिला, लेकिन कानूनी चुनौतियों के कारण इसे बरकरार नहीं रखा जा सका. उन्होंने यह भी कहा कि मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच कोई टकराव न हो, इसके लिए सभी को सतर्क रहना चाहिए.

सत्ता में बदलाव की चेतावनी

आपको बता दें कि मनोज जारांगे पाटील ने राज्य सरकार को कड़ी चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि अगर मराठा समुदाय की मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे सरकार को सत्ता से बेदखल करने की रणनीति अपनाएंगे. उन्होंने महायुति और महाविकास आघाड़ी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि दोनों गठबंधन एक-दूसरे से लड़ने में लगे हैं, जबकि मराठा समुदाय को न्याय नहीं मिल रहा.

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