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COVID-19: मकान मालिक अब एक साथ नहीं ले सकेंगे 3 महीने का किरायाः महाराष्ट्र सीएमओ

अगर महाराष्ट्र में कोई भी मकान मालिक ऐसा करता हुआ पाया गया तो महाराष्ट्र सरकार ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी.

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Ravindra Singh
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उद्धव ठाकरे( Photo Credit : फाइल)

महाराष्ट्र राज्य आवास विभाग मकान मालिकों को एक साथ 3 महीने का किराया लिए जाने के नियमों को कोरोनावायरस (Corona Virus) संक्रमण संकट के दौरान आगे बढ़ाने को कहा है. महाराष्ट्र मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी आदेश में ये स्पष्ट कहा गया है कि मकान मालिक किसी भी किराएदार से एक साथ तीन महीने का किराया नहीं लें और इस दौरान किसी भी किराएदार को किराया नहीं दिए जाने के लिए घर से बेदखल भी नहीं किया जाना चाहिए. अगर महाराष्ट्र में कोई भी मकान मालिक ऐसा करता हुआ पाया गया तो महाराष्ट्र सरकार ऐसे मकान मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. 

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इसके पहले मंगलवार को मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर मंगलवार को कुछ घंटों में हजारों लोगों की भीड़ जुट गई. बिहार, उत्तर, झारखंड और बंगाल के ये मजदूर अपने घर जाने के लिए बांद्रा स्टेशन पर आए थे. स्थानीय पुलिस ने कई बार इन लोगों को समझाने की कोशिश की कि देश में 3 मई तक लॉक डाउन (Lock Down) बढ़ा दिया गया है, इसलिए आप लोग वापस अपने घर लौट जाएं. इसके बावजूद ये मजदूर अपने घर लौटने को तैयार नहीं थे. इस पर पुलिस को इन लोगों पर लाठीचार्ज कर भगाना पड़ा. आइये हम आपको बताते हैं कि 2 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक बांद्रा और उसके आसपास के इलाकों में क्या हुआ.

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जा सकती है उद्धव ठाकरे की सीएम की कर्सी!

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद को लेकर संवैधानिक संकट खड़ा होता दिखाई दे रहा है. हालांकि इसकी वजह कोई राजनीतिक दांवपेच नहीं, बल्‍कि सांविधानक प्रावधान हैं. संविधान में यह प्रावधान है कि मंत्री बनने के लिए किसी भी सदन का सदस्‍य होना जरूरी है. कोई व्‍यक्‍ति किसी सदन का सदस्‍य चुने बिना मंत्री या मुख्‍यमंत्री बनता है तो उसके लिए जरूरी है कि वह छह माह के भीतर विधानसभा या विधानपरिषद की सदस्यता ले ले. छह माह में अगर किसी भी सदन की सदस्‍यता नहीं मिलती है तो मंत्री या मुख्‍यमंत्री पद से उसे इस्‍तीफा देना पड़ेगा.

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28 नवंबर को उद्धव ठाकरे ने ली थी शपथ

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे ने 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 28 मई को उनके 6 महीने पूरे हो रहे हैं. इससे पहले उनको दोनों सदनों में से किसी एक सदस्यता लेनी होगी. अगर उद्धव ठाकरे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें मुख्‍यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा. उनके इस्‍तीफे के साथ ही पूरी कैबिनेट भंग हो जाएगी. विधान परिषद की 9 सीटें 24 अप्रैल को खाली हो रही थीं और उद्धव ठाकरे को इन्हीं में से किसी एक सीट से चुनकर आने का प्‍लान था, लेकिन बीच में कोरोना आ गया. कोरोना वायरस के चलते चुनाव आयोग ने विधान परिषद का चुनाव टाल दिया.

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