मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के 'लेटर-बम' के दो दिन बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सोमवार को आईपीएस अधिकारी पर 'झूठ' बोलने का आरोप लगाया. पार्टी ने एक वीडियो स्टेटमेंट भी जारी किया है जिसमें मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में उल्लिखित घटनाक्रमों पर गंभीर संदेह जताया गया है. एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि इनमें "बहुत अधिक" खामियां हैं और जब तक पूरे आरोपों की पर्याप्त जांच नहीं हो जाती, तब तक "देशमुख के इस्तीफे का कोई सवाल नहीं है."
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मलिक ने कहा कि उन्होंने (सिंह ने) पत्र तब लिखा, जब उन्हें मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटा दिया गया. मलिक ने कहा, "पत्र में जिन तारीखों का उल्लेख किया गया है, उसकी बात करें तो गृह मंत्री अनिल देशमुख 1-5 फरवरी तक विदर्भ के दौरे पर थे. बाद में उन्हें कोरोना हो गया और 27 फरवरी तक कोविड-19 रिपोर्ट निगेटिव आने तक उनका इलाज चल रहा था."
उन्होंने दावा किया कि जैसे ही सिंह को 17 मार्च को अपने ट्रांसफर की सूचना मिली, उन्होंने 16 मार्च को अपने मैसेजेज में व्हाट्सएप चैट क्रिएट किया. मलिक ने कहा, "ऐसे कई सवाल हैं. बहरहाल, उन्होंने जो आरोप लगाए हैं, वे गंभीर हैं. इसलिए उनकी पूरी जांच होगी. जांच के नतीजे तक देशमुख के इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है."
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महा विकास अघाड़ी के अन्य सहयोगी दल शिवसेना और कांग्रेस ने भी दोहराया कि सिंह का पत्र "सरकार को अस्थिर करने की साजिश" और केंद्रीय एजेंसियों के "दबाव" में लिखा गया था.
राजस्व मंत्री (कांग्रेस) बालासाहेब थोराट ने कहा कि विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार और विभिन्न मंत्रियों को निशाना बनाती रहती है. शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कहा कि इस मुद्दे ने "महा विकास अघाड़ी की छवि खराब करने का काम किया है".
रविवार की देर रात एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, प्रदेश एनसीपी प्रमुख जयंत पाटिल, उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार और अन्य के बीच बैठक के बाद यह तय किया गया कि मामले में देशमुख के इस्तीफा देने का कोई सवाल ही नहीं है.
HIGHLIGHTS
- एनसीपी ने आईपीएस अधिकारी पर 'झूठ' बोलने का आरोप लगाया
- मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि इनमें "बहुत अधिक" खामियां हैं
- 'जांच के नतीजे तक देशमुख के इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं है'