महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मुलाकात की. दोनों की ये मुलाकात होटल ट्रीडेंट में हुई. इस दौरान दोनों ने 45 मिनट तक बात की जिसके बाद अहमद पटेल दिल्ली वापस लौट आए.
दरअसल बताया जा रहा है कि शिवसेना को समर्थन देने को लेकर कांग्रेस-एनसीपी ने कुछ शर्ते रखी है जिसकी वजह से पेंच फंसा हुआ है. इनमें सबसे बड़ी शर्त एनसीपी-सिवसेना के 50-50 फॉर्मूले पर सरकार बनाने को लेकर है. दरअसल एनसीपी चाहती है कि शिवसेना और एनसीपी के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए ढाई-ढाई साल का बंटवारा हो जबकि शिवसेना केवल आदित्य ठाकरे को ही महाराष्ट्र का सीएम बनाना चाहती है.
वहीं दूसरी तरफ संविधान विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजनीतिक पार्टियां राज्य में राष्ट्रपति शासन (President Rule) लागू होने के बावजूद सरकार बनाने का अपना दावा पेश कर सकती हैं. लोकसभा (Lok Sabha) के पूर्व प्रधान सचिव पी.डी.टी. आचारी ने कहा, "राष्ट्रपति (President) ने अभी विधानसभा को भंग नहीं किया है, इसलिए राजनीतिक पार्टियां संख्या बल जुटाकर सरकार बनाने का दावा अभी भी पेश कर सकती हैं." सुप्रीम कोर्ट 1994 के एसआर बोम्मई मामले (SR Bommai Case) के फैसले में उन परिस्थितियों के बारे में व्यवस्था दे चुका है, जहां अनुच्छेद 356 (Article 356) के तहत राष्ट्रपति शासन (President Rule) लागू करना जरूरी होता है.
राज्यपाल के फैसले को शिवसेना द्वारा एकतरफा बताए जाने और समर्थन जुटाने के लिए पर्याप्त समय न दिए जाने की शिकायत पर टिप्पणी करते हुए आचारी ने कहा, "अगर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर कर राष्ट्रपति शासन को चुनौती दी जाए, तब राज्य में सरकार बनाई जा सकती है."
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो