Maharashtra election: सपा नेता अबू आज़मी ने अंबानी के घर को वक्फ बोर्ड का बताया, बोलें- पट्टे का किराया चुकाएं

महाराष्ट्र के अबू आज़मी ने अंबानी के घर को वक्फ बोर्ड का बताया, उनका कहना है कि वफ्फ बोर्ड जमीन पर अंबानी का घर बना हुआ है, जहां पहले एक मुसाफिर खाना था.

महाराष्ट्र के अबू आज़मी ने अंबानी के घर को वक्फ बोर्ड का बताया, उनका कहना है कि वफ्फ बोर्ड जमीन पर अंबानी का घर बना हुआ है, जहां पहले एक मुसाफिर खाना था.

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Garima Sharma
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Maharashtra Abu Azmi

Maharashtra election: सपा नेता अबू आज़मी ने अंबानी के घर को वक्फ बोर्ड का बताया, बोलें- पट्टे का किराया चुकाएं

महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी (सपा) नेता अबू आज़मी ने हाल ही में एक बयान दिया है, जो ना केवल हैरान करने वाला था, बल्कि इसे सुनकर शायद आपको यह भी महसूस हो सकता है कि राजनीति में अब किस हद तक 'खामख्वाह के मुद्दे' ढूंढे जाते हैं. अबू आज़मी ने कहा है कि मुंबई में अंबानी के आलीशान घर का वक्फ बोर्ड से सीधा संबंध है. उनका कहना है कि अंबानी का घर उसी जमीन पर बना है, जो कभी एक मुसाफिर खाना हुआ करती थी, और अब वह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है. हां, आप सही पढ़ रहे हैं, अंबानी का घर, जो लगभग दुनिया के सबसे महंगे घरों में से एक है, उसे वक्फ बोर्ड की 'मजहबी संपत्ति' कहा जा रहा है.

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अंबानी और वक्फ बोर्ड: एक नई राजनीतिक जोड़-तोड़?

आज़मी का कहना है कि यह जमीन वक्फ बोर्ड की है और इसका इतिहास 200-300 साल पुराना है. वह दावा करते हैं कि यह 'लैंड बैंक' कोई 'चोरी-डकैती' से हासिल नहीं किया गया, बल्कि लोग अपनी जमीन वक्फ बोर्ड को दे चुके हैं. ऐसा लगता है कि अबू आज़मी ने वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की कुछ नई परिभाषा खोज ली है. वह कहते हैं, "नौ लाख एकड़ जमीन चोरी से नहीं आई है, लोगों ने अपनी जमीन बोर्ड को दी है," यानी अगर अब अंबानी का घर वक्फ बोर्ड की ज़मीन पर बना है, तो उसे वफ्फ से लीज़ पर लेना चाहिए. 

अंबानी की बिल्डिंग: गिर तो नहीं सकती, लेकिन लीज़ पर आ सकती है!

अबू आज़मी आगे कहते हैं, "अंबानी की बिल्डिंग गिर तो नहीं सकती, लेकिन वक्फ बोर्ड के पास जाए और वहां से लीज़ पर ले लें." क्या बात है, सपा नेता का यह समाधान बेहद प्रैक्टिकल और व्यावसायिक है. अंबानी को सरकार से या कोर्ट से लड़ने के बजाय, सीधे वक्फ बोर्ड से लीज़ पर जमीन लेकर उसमें अपनी विशाल बिल्डिंग का किराया देने का सुझाव देते है. अब अगर इस विचार को सरकार के खिलाफ किसी 'नफरत भरे भाषण' से जोड़ें, तो यह और भी दिलचस्प हो जाता है.

सरकार का 'फिर से घमंड टूटना'!

आज़मी ने केंद्र सरकार पर भी तंज कसा है कि अगर वह चाहती, तो वक्फ बोर्ड के खिलाफ बिल पहले ही पास कर देती, लेकिन अब "घमंड चूर हो गया" है. 400 कहने वाले 200 में सिमट गए. बेशक, यह भी एक बहुत ही दिलचस्प राजनीति है! ऐसा लगता है कि इस मुद्दे पर सरकार की नाकामी और अबू आज़मी की आलोचना दोनों ही 'घमंड के टूटने' पर केंद्रित हैं. 

 

 

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