महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव कांग्रेस-एनसीपी के लिए करो या मरो की लड़ाई साबित होने वाली है. ऐसा इसलिए क्योंकि पार्टी के ज्यादातर नेता या तो बीजेपी में शामिल हो गए हैं या उन्होंने शिवसेना का दामन थाम लिया है. ऐसे में कांग्रेस-एनसीपी इस बार अपनी लड़ाई अस्तित्व बचाने के लिए लड़ेगी.
वहीं बीजेपी के लिए भी ये चुनाव काफी अहम साबित होने वाले हैं. दरअसल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाज पहली बार किसी राज्य में चुनाव होने जा रहे हैं. ऐसे में मोदी सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले पर जनता असल में क्या सोचती है इसकी तस्वीर इसी चुनाव में साफ होगी.
बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी के सामने ये चुनौती
सबसे पहले बात करें कांग्रेस एनसीपी की तो फिलहाल दोनों पार्टियों में अविश्वास का माहौल है. लगातार कई बड़े नेताओं के बीजेपी और शिवसेना शामिल होने के बाद अब आलम ये है कि कौन कब पार्टी छोड़कर चला जाए, किसी को नहीं पता. ऐसे में अब दोनों पार्टी इस चुनाव में अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई लड़ेंगे.
वहीं बात करें बीजेपी-शिवसेना की तो भले ही दोनों पार्टियां महाराष्ट्र इस वक्त मजबूत हो लेकिन उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती ये होगी कि वो अपने दावों को पूरा कर सकें. दरअसल बीजेपी हमेशा से ये दावे करती आई है कि मोदी सरकार के फैसलों से जनता खुश है. ऐसे में अगर इस बार बीजेपी जीत दर्ज नहीं करेगी तो उसके दावों की पोल खुल सकती है.
राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद पहला चुनाव
लोकसभा चुनाव के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस्तीफा दे दिया था. काफी मान-मनौव्वल के बाद भी उन्होंने अपना इस्तीफा वापस नहीं लिया. इससे एक बार फिर सोनिया गांधी के हाथ में पार्टी की कमान चली गई है. लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने जिन मुद्दों को हवा दी थी, वो सब फुस्स हो गई थीं. अब कांग्रेस को उम्मीद है कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में अब कुछ जादू हो जाए.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो