Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव को ज्यादा वक्त नहीं बचा है. यहां जल्द ही दिग्गजों की किस्मत का फैसला होने वाला है. इस बीच प्रचार प्रसार का दौर भी जोरशोर से चल रहा है. इसी सिलसिले में कांग्रेस नेत्री प्रिया दत्त का बयान सामने आया है. उन्होंने बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशाना सिद्दीकी के लिए प्रचार करने से इनकार कर दिया है. यूं तो दत्त परिवार के बाबा सिद्दीकी और उनके परिवार से बेहद खास ताल्लुकात रहे हैं. बावजूद इसके चुनावी राजनीति में जीशान को सजय दत्त की छोटी बहन प्रिया का साथ न मिलना अपने आप में कई सवाल खड़े कर रहा है. तो आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इस ना की वजह...
ये है कारण
बता दें कि जीशान एक राष्ट्रवादी कांग्रेस यानी एनसीपी के अजित गुट का हिस्सा हैं. वो महायुति गठबंधन से भी जुड़े हुए हैं. वहीं, प्रिया दत्त महाविकास अघाड़ी गठबंधन के तहत कांग्रेस पार्टी का हिस्सा हैं. हालांकि, प्रिया दत्त ने मीडिया से बातचीत के दौरान जीशान सिद्दीदी के सवाल पर जवाब क्लीयर भी कर दिया. उन्होंने बताया कि वो दूसरे गठबंधन में हैं, इसलिए उन्होंने जीशान सिद्दीदीकी से दूरी बना रखी है. यही वजह है कि वो जीशान के लिए प्रचार नहीं करने वालीं. इसपर प्रिया दत्तर ने कहा 'हम जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं. देखिए आप सब लोग जानते हैं कि मैं पॉलिटिक्स से दूर ही हूं. आप सब लोग जानते हैं कि मैंने पॉलिटिक्स से बैक स्टैप लिया है. मैं कांग्रेस में हूं. मैं हमेशा ही काग्रेस पार्सन रहूंगी. अगर मैं राजनीति से भी दूर हूं तो भी मैं एक कांग्रेस पर्सन ही हूं. इसलिए मैं उनके लिए प्रचार नहीं कर रही हूं.'
इसलिए नहीं लड़ेंगी चुनाव
यूं तो प्रिया दत्त चुनाव प्रचार कर रही हैं, लेकिन खुद चुनाव नहीं लड़ने का फैसला लिया है. उनसे जब इसपर सवाल पूछा गया कि ये भी खबर है कि पार्टी ने चुनाव लड़ने के लिए आपको अप्रोच किया था. तो फिर आपने मना क्यों किया. इसपर उन्होंने कह कि उन्होंने मना इसलिए किया क्योंकि वह यह महसूस करती है कि वह खुद उस स्थिति में नहीं हैं कि चुनाव लड़ सकें. पिछले पांच सालों से उन्होंने पार्टी के लिए काम नहीं किया है. वह अब लोगों के बीच दिख रही हैं. वह अपने काम के द्वारा लोगों के बीच दिखती रही हैं. उन्होंने बताया कि वह नर्गिस दत्त फाउंडेशन के द्वारा एजुकेशन में काम करती हैं. हालांकि, लोगों से उनका संपर्क हमेशा बना रहता है. उन्हें महसूस होता है कि सिर्फ एक सीट जीतने के लिए उन्हें चुनाव नहीं लड़ना चाहिए.