बदलापुर में नर्सरी की दो मासूम बच्चियों के साथ हुए यौन उत्पीड़न मामले को लेकर जहां एक तरफ लोगों का गुस्सा उबाल पर है. वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा है कि जो लोग महिलाओं के साथ इस तरह की घटिया हरकत करते हैं उनको नपुंसक बना देना चाहिए.
अजित पवार ने आगे कहा कि उन्हें व्यक्तिगत रूप से लगता है कि जब ऐसे दुष्ट माताओं-बहनों, बेटियों पर हाथ डालते हैं, तो उन्हें ऐसी कानूनी सजा मिलनी चाहिए कि वे दोबारा ऐसा करने के बारे में न सोच सकें. मेरी भाषा में कहूं तो ऐसे लोगों के निजी अंग निकाल (नपुंसक) दिए जाने चाहिए. कुछ लोग इतने निकम्मे होते हैं कि उनके लिए ऐसा करना जरूरी हो जाता है.
जल्द आएगा विधेयक
दरअसल, पूर्वी महाराष्ट्र के यवतमाल में महिलाओं के लिए महायुति सरकार की 'लाडकी बहिण योजना' को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा था. इसमें डिप्टी सीएम अजित पवार शिरकत करने पहुंचे थे. यहां उन्होंने कहा कि राज्य की महायुति सरकार (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) महिलाओं के खिलाफ होने अपराध को लेकर सख्त है. पार्टी ऐसे कुकृत्य करने वाले अपराधियों बिल्कुल भी नहीं बख्शेगी, चाहे वह कोई भी हो. उन्होंने आगे बताया कि ऐसे अपराधों पर लगाम कसने के लिए एक विधेयक जल्द लाया जाएगा जो कि राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जा चुका है.
NCP शरद गुट ने किया था प्रदर्शन
आपको बता दें कि इस घटना को लेकर महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने 24 अगस्त को राज्यव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया था. पुणे में इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार ने किया. उनके साथ महागठबंधन के घटक दलों शिवसेना-यूबीटी और कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता भी शामिल हुए.
शरद पवार इस विरोध प्रदर्शन के दौरान काले रंग का मास्क पहने हुए थे और उन्होंने अपनी कलाई पर काले रंग का बैंड बांध रखा था. यह प्रतीकात्मक विरोध दर्शाता है कि एमवीए इस घिनौने अपराध के खिलाफ एकजुट है. प्रदर्शन में शामिल अन्य लोग भी काले बैंड पहनकर विरोध जता रहे थे. यह विरोध केवल एक घटना के खिलाफ नहीं था, बल्कि पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाता है.
एसआईटी जांच का आदेश
इस मामले में पुलिस की सुस्ती ने जनता को निराश किया है. साथ ही गुस्साए लोगों ने स्कूल के बाहर ही नहीं, बल्कि भीतर भी तोड़-फोड़ की और रेल रोको आंदोलन का आयोजन किया. महाराष्ट्र सरकार ने एसआईटी जांच के आदेश देकर इस मामले की गंभीरता को स्वीकार किया, लेकिन इससे भी जनता का गुस्सा शांत नहीं हुआ है.