Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से ही महा विकास अघाड़ी (MVS) और महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे की चुनौतियों से जूझ रहे हैं. राज्य के दोनों ही गठबंधनों में अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर बात नहीं बन पाई है. इस बीच महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पुणे के जगद्गुरु संत तुकाराम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे. जहां से वह दिल्ली के लिए रवाना हुआ. ऐसा माना जा रहा है कि सीएम शिंदे दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा कर सकते हैं.
सीटों के बंटवारे को लेकर फंसा पेंच
बता दें कि, हरियामा, जम्मू-कश्मीर और झारखंड से बड़े इस राज्य में विधानसभा की कुल 288 सीटें है. जो यूपी और पश्चिम बंगाल के बाद तीसरे स्थान पर हैं. महाराष्ट्र छह अलग-अलग क्षेत्रों में बंटा हुआ है, जहां की जनसांख्यिकी, राजनीतिक समीकरण और मुद्दे अलग-अलग हैं. जिसके चलते एक राज्य होने के बावजूद यहां एक चुनाव न होकर छह चुनावों के रूप में दर्शाता है.
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#WATCH | Maharashtra CM Eknath Shinde arrives at the Jagadguru Sant Tukaram International Airport, Pune
— ANI (@ANI) October 18, 2024
He will depart for Delhi pic.twitter.com/jGQ7UiXGlT
महाराष्ट्र के किस क्षेत्र में कितनी सीटें
महाराष्ट्र के छह क्षेत्र में विभाजित हैं जिसमें विदर्भ में 62 सीटें, मराठवाड़ा में 46 सीटें, पश्चिमी महाराष्ट्र में 70 सीटें, ठाणे-कोंकण में 39 सीटें, मुंबई में 36 सीटें और उत्तर महाराष्ट्र की 35 सीटें सीटें शामिल हैं. इसके साथ ही महाराष्ट्र के इन सभी क्षेत्रों में किसी भी एक पार्टी का प्रभाव नहीं है बल्कि हर क्षेत्र में अलग-अलग पार्टी का प्रभाव नजर आता है. यही वजह है कि बीते चार दशक में कोई भी एक पार्टी अपने दम पर राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल नहीं हुई है.
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एनडीए और यूपीए के बीच था 2019 का मुकाबला
बता दें कि 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने एनडीए के तहत एक साथ चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन (UPA) ने अलग चुनाव लड़ा था. तब दोनों का सीधा मुकाबला था. उस चुनाव में एनडीए ने 161 सीटें हासिल की थी. जिसमें बीजेपी को 105 और शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली थी.
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वहीं यूपीए सिर्फ 98 सीटें जीत पाई थी जिसमें कांग्रेस 44 और एनसीपी 54 सीटें जीती थी. हालांकि, सीएम पद को लेकर शिवसेना के उद्धव ठाकरे और बीजेपी के बीच ठन गई. इसके बाद शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली, लेकिन एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद शिवसेना दो धड़ों में बंट गई.