Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होने वाला है. प्रदेश के 288 सीटों पर एक ही चरण में मतदान किया जाएगा. 2019 विधानसभा चुनाव के बाद प्रदेश की राजनीति बिलकुल अलग रूप ले चुकी है. जिसकी कल्पना आम इंसान ने क्या राजनीतिक विशेषज्ञों ने भी नहीं की थी, प्रदेश में कुछ ऐसा हुआ.
2019 के बाद बदल गई महाराष्ट्र की सियासत
अलग-अलग विचारधारा की पार्टियों के बीच गठबंधन हो रखा है. महायुति में बीजेपी के साथ शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) है तो दूसरी तरफ महाविकास अघाड़ी (MVA) में कांग्रेस के साथ एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) हैं. पिछले पांच सालों में जितनी उथल पुथल महाराष्ट्र में देखने को मिली.
288 सीटों का क्या है समीकरण
शायद ही देश के किसी दूसरे राज्या में ऐसा देखा गया. इसकी वजह से लोग विधानसभा चुनाव के बाद भी प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव की कल्पना कर रहे हैं. जनता हो या राजनीतिक विशेषज्ञ सब इस बात को समझ चुके हैं कि प्रदेश में सरकार बनाने के लिए राजनीति में कुछ भी संभव है.
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6 रिजन में बंटा है महाराष्ट्र
इससे पहले समझते हैं कि महाराष्ट्र में जातीय समीकरण कितना अहम रोल निभाता है. दरअसल, महाराष्ट्र राजनीति रूप से 6 रिजन में बंटा हुआ है, जिसमें उत्तर महाराष्ट्र, पश्चिमी महाराष्ट्र, विदर्भ, मराठवाड़ा, मुंबई-ठाणे और कोंकण क्षेत्र शामिल है. इन 6 रिजन को अलग-अलग पार्टियों का गढ़ माना जाता है.
उत्तर महाराष्ट्र
उत्तर महाराष्ट्र की बात करें तो इसके अंदर कुल 47 विधानसभा सीट है. इसके अंदर चार जिले नासिक, नंदुरबार, धुले और जलगांव आते हैं. इस क्षेत्र में शिवसेना और एनसीपी का विभाजन का असर देखा जा रहा है. 2019 विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी-शिवसेना को जबरदस्त समर्थन मिला था, लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में बाजी पलट गई और लोगों ने शरद पवार की एनसीपी पर भरोसा जताया.
पश्चिम महाराष्ट्र
पश्चिम महाराष्ट्र के अंदर कुल 58 सीटें आती है. इसमें कुल 7 जिले शामिल है, जिसमें नासिक, पुणे, कोल्हापुर, सतारा, अनगर, सोलापुर और सांगली शामिल है. पश्चिमी महाराष्ट्र में मराठा नेताओं का वर्चस्व देखा जाता है.
मराठवाड़ा
मराठवाड़ा की बात करें तो प्रदेश के बीच में स्थित है. मराठवाड़ा में कुल 46 सीटें हैं और इसके अंदर 8 जिले आते हैं. 2019 में यहां बीजेपी-शिवसेना को सपोर्ट किया गया था, लेकिन दोनों ही पार्टियों के अलगाव के बाद समीकरण बदलता हुआ नजर आ रहा है. इस क्षेत्र से महाराष्ट्र के कई बड़े दिग्गज नेता निकले. स्वर्गीय गोपीनाथ मुंडे भी इसी क्षेत्र से आते हैं और आज भी उनकी राजनीति विरासत को उनकी बेटी पंकजा मुंडे और भतीजा धनंजय संभाले हुए है. हालांकि मराठा आरक्षण की मांग ने इस क्षेत्र में जाति आधारित राजनीति को बड़ा रूप दे दिया है.
विदर्भ
विदर्भ में कुल 62 सीटें हैं. इसके अंदर 11 जिले आते हैं, जिसमें अमरावती, गोंदिया, यवतमाल, गढ़चिरौली, वर्धा, अकोला, चंद्रपुर, बुलढाना, नागपुर, वाशिम और भंडारा शामिल है. इस क्षेत्र से ही देवेंद्र फडवसी और नितिन गडकरी जैसे बड़े भाजपा नेता आते हैं. बीजेपी की पकड़ इस क्षेत्र में काफी अच्छी है. हालांकि इस बार का चुनाव किसी भी पार्टी के लिए आसान नहीं होने वाली है.
कोंकण
कोंकण क्षेत्र में 39 सीटें आती है और इसके अंदर 5 जिले आते हैं. रत्नागिरी, ठाणे, रायगढ़, मुंबई और सिंधुदुर्ग. कोंकण क्षेत्र में बीजेपी और शिवसेना की अच्छी पकड़ मानी जाती है. यहां कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा नहीं है. हालांकि शिवसेना अब दो गुटों में बंट चुकी है तो कहना मुश्किल है कि इस बार जनता किस पर भरोसा दिखाती है.
मुंबई-ठाणे
मुंबई-ठाणे के अंदर कुल 36 सीटें हैं. इसे भाजपा-शिवसेना का गढ़ माना जाता है. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता किसे जीत का ताज पहनाती है.