महाराष्ट्र: बागी विधायकों को लेकर उलझी उद्धव सरकार, क्या देना पड़ेगा इस्तीफा? 

शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र में सियासी माहौल गरमा दिया है. राज्य में सरकार अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि उद्धर ठाकरे सीएम के पद से कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं.

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Mohit Saxena
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maharashtra political crisis( Photo Credit : social media)

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शिवसेना नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री एकनाथ शिंदे ( Eknath shinde) ने  राज्य का सियासी माहौल गरमा दिया है. राज्य में सरकार अस्थिरता के दौर से गुजर रही है. हालात यहां तक पहुंच चुके हैं कि उद्धर ठाकरे सीएम के पद से कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. इस समय 35 के करीब शिवसेना विधायक शिंदे गुट के साथ गुवाहटी में मौजूद हैं. इसे लेकर शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग कर रहे हैं. एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके पास निर्दलीय समेत 50 विधायकों का समर्थन है. ये गुट असली शिवसेना बनाता है. वहीं ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने बुधवार को विधायक दल की बैठक में शामिल न होने वाले 12 विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग रखी है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एकनाथ शिंदे ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची के अनुसार पार्टी व्हिप विधायिका की कार्यवाही को लेकर जारी होता है न कि बैठक भाग लेने के लिए.

महाराष्ट्र में इस समय शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार तभी गिर सकती है जब उद्धव ठाकरे संख्या की कमी की वजह से इस्तीफा देने का विकल्प चुनते हैं या वह विधानसभा में फ्लोर टेस्ट को हार जाते हैं. इसलिए हम आपको उन सभी संभावित घटनाओं के बारे में बताने जा रहे हैं, जो महाराष्ट्र की राजनीति में घट सकती है. सीएम उद्धव ठाकरे ने शिंदे खेमे से एक भावनात्मक अपील की है.  शीर्ष पद छोड़ने की पेशकश की है और बुधवार को पारिवारिक आवास ‘मातोश्री’ के लिए आधिकारिक निवास ‘वर्षा’ छोड़ दिया. मगर शिंदे की जिद है कि उद्धव एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ दें.

इस्तीफा या फ्लोर टेस्ट

महाराष्ट्र में आगे क्या होने वाला है कि यह पल-पल के घटनाक्रम तय कर सकेंगे. एकनाथ शिंदे 50 विधायकों का दावा किया है कि उन्होंने आधिकारिक तौर पर महाराष्ट्र के राज्यपाल को ठाकरे सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए सूचित किया है. अगर यह सच है तो उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. अगर ऐसा होता है तो फायदा भाजपा को होने वाला है. राज्यपाल भाजपा से सरकार बनाने का आह्वान करेंगे. इसके बाद भाजपा को विधानसभा में बहुमत साबित करने का प्रयास करना होगा. भाजपा शिंदे के प्रति वफादार विधायकों के समर्थन से बहुमत हासिल कर सकती है. यदि उद्धव ठाकरे को इस्तीफा नहीं देना है तो उन्हें विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा.

सीएम के लिए प्रतिद्वंद्वी गुट की संख्या को देखते हुए यह एक संभावना मात्र है. अगर ठाकरे फ्लोर टेस्ट में फेल होते हैं तो सरकार गिर जाएगी, जिसके कारण दोबारा ऐसा परिदृश्य खड़ा होगा जहां पर भाजपा को सरकार बनाने के लिए बुलावा मिल सकता है. इस दौरान अगर भाजपा संख्या जुटा में असमर्थ होती है, तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की संभावना बढ़ जाएगी. इस दौरान अगर गतिरोध जारी रहता है, तो राज्य में नए विधानसभा चुनाव भी  हो सकते हैं.

 

HIGHLIGHTS

  • एकनाथ शिंदे का दावा है कि उनके पास निर्दलीय समेत 50 विधायकों का समर्थन है
  • भाजपा को विधानसभा में बहुमत साबित करने का प्रयास करना होगा
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