कोरोना वायरस (Corona Virus) की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन की कमी से मौत का मामला एक बार फिर तूल पकड़ता जा रहा है. सरकार की ओर से संसद में बयान दिया गया कि देश में ऑक्सीजन की कमी से किसी की भी जान नहीं गई है. वहीं, दिल्ली सरकार भी मई में हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में कह चुकी है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है. इस बीच महाराष्ट्र सरकार ने भी दावा किया है कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मरीज की मौत नहीं हुई है.
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है और ऐसा एफिडेविट हमने कोर्ट में भी दिया है. महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की कमी न होने की मुख्य वजह यह है कि राज्य में जितना ऑक्सीजन तैयार हो रहा था, उसका 100 % यानी सारा ऑक्सीजन, इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन हमने लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन के लिए इस्तेमाल किया और प्युरिटी मेंटेन की गई.
उन्होंने आगे कहा कि ऑक्सीजन का संरक्षण सही तरीके से किया गया. ऑक्सीजन जाया न हो, इसलिए भी हमने ऑक्सीजन नियंत्रण पर काम किया. जब ऑक्सीजन इस्तेमाल करने वाला मरीज वॉशरूम जाता था तो वह ऑक्सीजन मास्क निकालकर जाता था, तब उस दौरान भी हमने सिलिंडर बंदकर ऑक्सीजन को बचाया. जब महाराष्ट्र में कोरोना मरीजों की संख्या 65 हजार के करीब थी तब भी हमने 1700 मैट्रिक टन ऑक्सीजन को मैनेज किया. इसकी वजह से ऑक्सीजन की कमी के चलते महाराष्ट्र में एक भी मौत नहीं हुई.
आपको बता दें कि सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं, बल्कि दिल्ली सरकार भी मई में हाईकोर्ट में दाखिल जवाब में कह चुकी है कि ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई है. दिल्ली सरकार ने अपनी चार सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट पेश की थी. जिसके अनुसार, जयपुर गोल्डन हॉस्पिटल में 23-24 अप्रैल की रात जो 21 मरीजों की मौत हुई, वो ऑक्सीजन की कमी से नहीं हुई. उनके अस्पताल में रहने तक ऑक्सीजन उपलब्ध थी. वो कोविड से गम्भीर रूप से प्रभावित थे. उसमें से कुछ इससे पहले और भी गम्भीर बीमारियों से जूझ रहे थे.
दिल्ली सरकार ने सभी स्वास्थ्य संस्थानों को जारी किया था निर्देश
दिल्ली सरकार ने मई में दिल्ली HC में जवाब दाखिल किया था. जिसमें दिल्ली सरकार का कहना था कि 27 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए दिल्ली सरकार ने सभी प्राइवेट हॉस्पिटल और नर्सिंग होम को निर्देश जारी किया. जिसके अनुसार, अपने यहां ऑक्सीजन की कमी से होने वाली मौत की जानकारी संस्थान सरकार को भेजें. यही नहीं, दिल्ली सरकार ने एक 4 सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया. इस 4 सदस्यीय कमेटी को ऐसे मरीजों के केस शीट का अध्ययन करने के बाद ये तय करना था कि क्या वाकई उनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई या नहीं?
Source : News Nation Bureau