महाराष्ट्र (Maharastra) में एकनाथ शिंदे (Eknath shinde) और देवेंद्र फडणवीस (devendra fadnavis) की बनी नई सरकार में एंबुलेंस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. या तो यूं कहें कि नई सरकार एंबुलेंस ने बनवाई है. गुलाब राव पाटिल (Gulab rao patil) ने विधानसभा के दौरान कहा कि हमें शिवसेना को बचाने के लिए एंबुलेंस के जरिये महाराष्ट्र के बाहर जाना पड़ा क्योंकि महाविकास अघाड़ी (maha vikas aghadi) के लोग हमें बाहर नहीं देना चाहते थे और शिवसेना के विचार और लोगों को समाप्त करना चाहते थे. सूत्र बताते हैं कि अकेले गुलाबराव पाटिल ही नहीं बल्कि शिवसेना के तेरह विधायकों को महाराष्ट्र की सीमा पार कर्रवाई की गई. जो विधायक महाराष्ट्र की सीमा एंबुलेंस के जरिये पार कर नाकाबंदी, शिवसैनिक और महाविकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं से बच निकले उनमें कई मंत्री भी शामिल थे.
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गुलाबराव पाटिल सेंट जॉर्ज हॉस्पिटल से एंबुलेंस में लेटकर निकले जबकि सैकडों शिवसैनिक अस्पताल के परिसर में उनका उनकी पेहरेदारी कर रहे थे. तो मातोश्री में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिलने आए उदय सामंत को एंबुलेंस में लिटाकर बॉर्डर पार करवाया गया. दादा भुसे को उनके बंगले से एंबुलेंस में बैठाकर निकाला गया जबकि सैकड़ों शिवसैनिक उनके पीछे पीछे घूम रहे थे. जबकि सबसे कठिन तरीके से संजय राठौड़ ने महाराष्ट्र छोड़ा और उन्हें डेड बॉडी के शक्ल में सैकड़ों महाविकास अघाड़ी के कार्यकर्ताओं के बीच से बाहर निकाला गया. कई महिला विधायकों को भी इसी तरीके से महाराष्ट्र की सीमा पार करवाई गई. एंबुलेंस की मदद से बनवाई गई इस सरकार को बनवाने के लिए 10 एंबुलेंस दिन रात काम कर रही थी. शिवसेना के बागी विधायकों ने ठीक वही रवैया अख्तियार किया जिस तरीके से कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को पलटकर बीजेपी की सरकार बनी थी.