Maharashtra Politics: महाराष्ट्र सरकार ने बीते गुरुवार को कैबिनेट की बैठक का आयोजन किया. इस दौरान कई बड़े फैसले लिए गए. इसके तहत मुसलमानों के लिए महायुती सरकार ने खास तोहफा दिया है. अब प्रदेश में संचलित हो रहे मदरसों में पढ़ाने वाले टीचरों की सैलरी बढ़ाई गई है, साथ ही मौलाना आजाद अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम के बजट में भी बढ़त कर दी है.
बता दें कि प्रदेश सरकार के फैसले बाद से यहां टीचरों की नॉर्मल सैलरी 6 हजार से बढ़कर 16 हजार हो गई. इसके साथ ही B.Ed टीचर को मिलने वाली सैलरी में भी इजाफा हुआ है, उन्हें पहले 8 मिलते थे लेकिन अब 18 हजार दिये जाएंगे. मौलाना आज़ाद अल्पसंख्यक वित्तीय विकास निगम का बजट में भी 700 करोड़ से 1,000 करोड़ की बढ़ोतरी हुई है.
तुष्टिकरण की है राजनीति
महाराष्ट्र कैबिनेट के इस निर्णय को लेकर वारिस पठान ने शिंदे सरकार पर हमला बोला. उन्होंने इस फैसले को तुष्टिकरण की राजनीति बताते हुए कहा, 'देखिए अब ये अपिजमेंट पॉलिटिक्स (तुष्टिकरण की राजनीति) नहीं है? हम जब एमएलए थे जब विधानसभा जाते थे तो इस मसले को उठाते थे कि मदरसों में शिक्षकों सैलरी बढ़ाइए, मदरसों को मार्डन करिए, फंड बढ़ाइए. तब इनके कानों में जूं नहीं रेंगती थी. लेकिन हम इन्हें पता है कि राज्य में चुनाव होने वाले एक महीने के अंदर हैं तो आ गए ऐसी बा लेकर. बात ये है कि सरकार को दोहरा रवैया जनता के सामने आया है. एक तरफ आप पगार बढ़ा रहे हैं तो दूसरी तरफ अपने नेताओं से अनाप-शनाप बकवास-बाजी करवा रहे हैं.'
नेताओं को खुली छूट
वारिस पठान ने आगे कहा कि सबसे पहले रामगिरि आया उसने अपने अल्फाज से हमारे प्रोफेट की बेइज्जती की. इससे दुनियाभर के मुसलमान को ठेस पहुंची और महाराष्ट्र के सीएम शिंदे जी उसे अपने बगल में बिठाते हैं और कहते हैं कि देखते हैं कि कौन इसका बाल भी बांका कर पाता है. उसके बाद राणे जैसा आदमी आता है और कहता है कि हम मुसलमानों को मस्जिद में घुसकर चुन-चुनकर मारेंगे.
सरकार खामोश रहती है. महायुति सरकार को इस बार अपनी कुर्सी जाती हुई दिख रही इसीलिए ये आ गए हैं. धुव्रीकरण पर अब ये मंगलसूत्र, गंगा, मंदिर-मस्जिद, पाकिस्तान, घुसपैठिए ऐसी तमाम तरह की चीजें सामने आएंगी. ये ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इनके पास जनता के लिए विकास के नाम पर कुछ नहीं है.