महाराष्ट्र सरकार ने एक परिपत्र जारी करते हुए सादगी से मोहर्रम मनाने की अपील की है. साथ ही उसने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी. मोहर्रम सातवीं सदी में करबला की जंग में हजरत इमाम हुसैन के शहीद होने की याद में मनाया जाता है. मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का पहला और पवित्र महीना है. राज्य सरकार ने बुधवार को जारी परिपत्र में कहा कि कोविड-19 के दौरान सामाजिक और धार्मिक कार्यक्रमों पर पाबंदी के चलते इस साल मातम की अनुमति नहीं होगी. परिपत्र में कहा गया है कि मुसलमान अपने घरों में मातम कर सकते हैं. सरकार ने कहा कि एक सोसायटी में रहने वाले लोग भी मातम के लिये एकत्रित न हों और नियमों का पालन करते हुए मजलिस का ऑनलाइन आयोजन किया जाए. परिपत्र में कहा गया है कि ताजिया (हजरत इमाम के मकबरे का प्रतीक) निकालने की भी अनुमति नहीं होगी.
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छबील से केवल बोतलबंद पानी ही वितरित किया जा सकता
सरकार ने कहा कि छबील (स्टॉल) लगाने के लिये स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेनी होगी और उन पर दो से अधिक लोग खड़े नहीं हो सकेंगे. परिपत्र के अनुसार छबील से केवल बोतलबंद पानी ही वितरित किया जा सकता है और वहां साफ-सफाई तथा शारीरिक दूरी का ध्यान रखा जाना चाहिए. सरकार ने कहा कि किसी भी कार्यक्रम में चार से अधिक लोगों को शिरकत करने की अनुमति नहीं होगी. सरकार ने लोगों से कोविड-19 हालात को देखते हुए रक्त और प्लाज्मा दान शिविर लगाने जैसी स्वास्थ्य पहल करने का अनुरोध किया है.
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जूलूस और गणेश चतुर्थी को लेकर अहम फैसला
वहीं इससे पहले दिल्ली में भी मोहर्रम के दौरान जूलूस और गणेश चतुर्थी को लेकर अहम फैसला लिया गया है. केंद्र सरकार की गाइडलाइन के तहत दिल्ली में मोहर्रम के दौरान जूलूस निकालने और गणेश चतुर्थी के दौरान सार्वजनिक मूर्ति स्थापना पर रोक लगाई गई है. केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत गणेश चतुर्थी के दौरान पंडाल बनाने पर भी प्रतिबंध रहेगा. दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने दिल्ली के सभी संबंधित अधिकारियों को केंद्र सरकार की गाइडलाइन का कड़ाई से अनुपालन कराने का निर्देश जारी किए हैं. दिल्ली में कोविड-19 महामारी के फैलने के खतरे के मद्देनजर सभी लोगों से पर्व को घर पर ही मनाने की अपील की गई है.