आज का दिन महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के नजरिये से निर्णायक हो सकता है. महाराष्ट्र के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल के पास शिवसेना की वो याचिका है, जिसपर उनके फैसले से 16 विधायकों की सदस्यता रद्द हो सकती है, तो दूसरी तरफ एकनाथ शिंदे की अगुवाई में बागी विधायकों ने डिप्टी स्पीकर को ही हटाने की ठान ली है. इन सब के बीच डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल (Narhari Zirwal) ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के बागी गुट को झटका देते हुए शिवसेना के पक्ष में अहम फैसला सुनाते हुए उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackarey) कैंप के अजय चौधरी को विधायक दल के नेता के रूप में मान्यता दे दी है. इसके अलावा सुरेश प्रभु को चीफ व्हिप चुन लिया गया. डिप्टी स्पीकर का यह फैसला शिंदे कैंप के लिए बड़े झटके की तरह है. ऐसे में आज का दिन महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम में काफी अहम हो सकता है.
एकनाथ शिंदे का गुट बोला-डिप्टी स्पीकर को हटाया जाए, कर रहे एकतरफा फैसले
इस बीच एकनाथ शिंदे कैंप के विधायकों ने महाराष्ट्र विधानसभा (Maharashtra Assembly) के डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल को हटाने की मांग की है. उनका कहना है कि जब पार्टी में बहुमत शिंदे कैंप के पास है, तो वो उद्धव कैंप की टीम के लोगों को कैसे विधानसभा की अध्यक्षता के लिए चुन सकते हैं. ऐसे में अब डिप्टी स्पीकर के खिलाफ प्रस्ताव लाया जाएगा. इस मामले में विधायक महेश बालदी और विनोद अग्रवाल ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश में 2016 ऐसा ही घटनाक्रम हुआ था. उस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर स्पीकर या डिप्टी स्पीकर खुद सवालों के घेरों में हो, तो वह किसी विधायक को अयोग्य ठहराने का काम नहीं कर सकते.
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शिंदे गुट के 16 विधायकों को नोटिस
शिवसेना (Shivsena) ने डिप्टी स्पीकर (Deputy Speaker) को पत्र लिखकर बागी हुए 16 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की है. इस पर विधानसभा सचिवालय में गुरुवार शाम से देर रात तक महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी के साथ बैठक हुई. बैठक में अरविंद सावंत, अनिल देसाई मौजूद रहे. अनिल देसाई ने बताया कि बागियों की सदस्यता रद्द करने को लेकर कानूनी पहलुओं पर चर्चा हुई. अब सभी बागियों को नोटिस भेजा जाएगा. अगर बागियों की सदस्यता रद्द कर दी जाती है तो वे फ्लोर टेस्ट में वोट नहीं कर पाएंगे.
फ्लोर टेस्ट की स्थिति में क्या होगा?
विधानसभा में फ्लोर टेस्ट का फैसला अगर डिप्टी स्पीकर लेते हैं, तो सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहना होगा. लेकिन डिप्टी स्पीकर अगर अपने पद पर रहे. उन्होंने अगर विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी, तो शिंदे गुट के लिए ये बड़ा झटका होगा. क्योंकि अभी उन्होंने ठाकरे कैंप के नेता को चीफ व्हिप नियुक्त किया है. ऐसे में अगर शिंदे गुट के लोग चीफ व्हिप की तरफ से जारी व्हिप नहीं मानते और तब तक उन्हें अलग गुट की मान्यता नहीं मिलती, तो ये उनके लिए भारी मुसीबत का सबब बन सकता है. वैसे, इस पूरे खेल में राज्यपाल भी अहम भूमिका में हो सकते हैं, लेकिन वो कोरोना संक्रमित होने की वजह से अस्पताल में हैं. बहरहाल, जो कुछ भी महाराष्ट्र की राजनीति में घटता रहेगा, हम आपको जानकारी देते रहेंगे.
HIGHLIGHTS
- महाराष्ट्र की राजनीति के लिए अहम दिन
- विधानसभा डिप्टी स्पीकर पर सभी की निगाहें
- डिप्टी स्पीकर को हटाने की कोशिश में शिंदे गुट