महाराष्ट्र की सत्ताधरी शिवसेना में जारी राजनीतिक संग्राम अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. शिवसेना से बगावत कर अलग गुट बनाने वाले एकनाथ शिंदे की अर्जी पर सोमवार को देश की सर्वोच्च अदालत में इस मामले की सुनवाई होनी है. शिंदे गुट के 15 विधायकों ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई है. इस याचिका में इन विधायकों की ओर से खासतौर पर दो बातों का जिक्र है. पहला तो यह की विधायकों ने उन्हें अयोग्य ठहराने के डिप्टी स्पीकर के नोटिस को अवैध बताते हुए कोर्ट से इसे रद्द करने की अपील है. इसके अलावा इन विधायकों ने राज्य के ताजा हालात में खतरे को देखते हुए खुद के और परिवार के लिए कोर्ट से सुरक्षा मुहैया कराए जाने की मांग की है. गौरतलब है कि शिंदे गुट की तरफ से दिग्गज वकील हरीश साल्वे पैरवी करेंगे. वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना की ओर से भी वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी अपनी दलीलें पेश करेंगे.
सुनवाई में 7 पक्ष रहेंगे शामिल
महाराष्ट्र में जारी सियासी संग्राम पर सुप्रीम में होने वाली सुनवाई में 7 पक्ष शामिल रहेंगे. महाराष्ट्र सरकार की तरफ से देवदत्त कामत पेश होंगे. वहीं, डिप्टी स्पीकर की तरफ से एडवोकेट रवि शंकर जंडियाला केस की पैरवी करेंगे. इसके अलावा इस केस में राज्य विधान सभा सचिव, अजय चौधरी (उद्धव की तरफ से विधायक दल के नए नेता), सुनील प्रभु (उद्धव सरकार के नए चीफ व्हिप), भारत संघ, डीजीपी महाराष्ट्र भी शामिल हैं. गौरतलब है कि विधायकों की तरफ से 2 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई है. इन याचिकाओं की सुनवाई दो सदस्यीय बेंच करेगी. सुनवाई सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की पीठ दोनों याचिका की सुनवाई करेगी. सुनवाई में कुल 7 पक्ष शामिल रहेंगे.
ये है विधायकों की दलील
बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि शिवसेना विधायक दल के 2 तिहाई से ज्यादा सदस्य हमारा समर्थन करते हैं. ये पता होने के बाद भी डिप्टी स्पीकर ने 21 जून को पार्टी के विधायक दल का नया नेता नियुक्त कर दिया है. इसके साथ ही इस याचिका में कहा गया है कि नोटिस के बाद उन्हें और उनके अन्य सहयोगियों को रोज धमकियां मिल रही हैं. इस घटना के बाद उनके जीवन पर खतरा मंडरा रहा है. इसके अलावा याचिका में यह भी कहा गया है कि शिवसेना नीत महाविकास अघाड़ी सरकार ने न सिर्फ हमारे घर-परिवार से सुरक्षा वापस ले ली है, बल्कि बार-बार पार्टी कार्यकर्ताओं को हमारे खिलाफ भड़काने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा याचिका में बागी विधायकों के घरों और ऑफिसों में हुई हालिया तोड़फोड़ का भी हवाला देते हुए लिखा गया है कि याचिकाकर्ता के कुछ सहयोगियों की संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया गया है. इस याचिका में इन विधायकों ने साफ कर दिया है कि उन्होंने शिवसेना की सदस्यता नहीं छोड़ी है.
सुप्रीम कोर्ट से कोई बड़े फैसले की उम्मीद नहीं
इस तरह के मामलों की सुनवाई के ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से किसी बड़े फैसले की उम्मीद नहीं है. दरअसल, इससे पहले जब भी इस तरह के सरकार या विपक्ष में दो फाड़ होने के मामले सुप्रीम कोर्ट में ला एगए तो उन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने कोई फैसला सुनाने के बजाय मामले को सदन में निपटाने पर जोर दिया. लिहाजा, जानकार मानते है कि इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट शायद ही डिप्टी स्पीकर की भूमिका, नियुक्तियों और अयोग्यता के विषय पर कोई एक्शन लेगा या नोटिस जारी करेगा. इस तरह के मामलों में कोर्ट के पूर्व के रुख को देखते हुए मामले को सदन में भेजकर शक्ति परीक्षण के जरिए दूध का दूध और पानी का पानी करवाने के लिए ही कदम बढ़ा सकता है. इससे पहले कर्नाटक, गोवा जैसे राज्यों में ऐसे हालात पैदा होने पर कई बार फैसला कोर्ट से नहीं, बल्कि विधायिका के सदन से ही आया.
HIGHLIGHTS
- विधायकों ने डिप्टी स्पीकर के नोटिस को रद्द करने के लिए दायर की है याचिका
- खुद को और परिवार को सुरक्षा मुहैया कराने की भी विधायकों ने की है मांग
- मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे करेंगे विधायकों की पैरवी
Source : News Nation Bureau