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महाराष्ट्र में चुनाव से पहले ही गिरेगी सरकार! शुरू हो गया खेला

महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले ही बड़ा खेला हो गया है. महायुति के लिए परेशानी खड़ी हो गई है. सरकार के खिलाफ सहयोगी दल ने ही मोर्चा खोल दिया है.

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Dheeraj Sharma
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Maharashtra Political Crisis: महाराष्ट्र से अब तक की सबसे बड़ी खबर सामने आ गई है. दरअसल इस साल के अंत में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होना है. हालंकि पहले चार राज्यों के साथ ही महाराष्ट्र में भी चुनाव तारीखों का ऐलान किया जाना था लेकिन चुनाव आयोग ने त्योहार समेत कुछ अन्य कारण गिनाते हुए हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के साथ चुनाव तारीखों का ऐलान ही नहीं किया. ऐसे में हर किसी के जहन में ये बात आ गई कि क्या महाराष्ट्र में कुछ खेला हो रहा है. इस कवायद को अब हवा भी मिल गई है. क्योंकि महाराष्ट्र सरकार किसी भी वक्त गिर सकती है. क्योंकि महाराष्ट्र सरकार के सहयोगी दल ही उसके खिलाफ प्रदर्शन में जुट गए हैं. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला?

NCP ने सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

दरअसल महाराष्ट्र में इन दिनों सियासी पारा हाई है. वजह है शिवाजी महाराज की प्रतिमा. उनकी मूर्ति ढहने के बाद से ही प्रदेश में राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम भी शुरू हो गया है. दोषी कौन है किसके मत्थे ये ठीकरा फोड़ा जाए इसको लेकर भी सभी दल एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. इसी कड़ी में सिंधुदुर्ग जिले में महायुति की घटक दल एनसीपी ने अपनी ही सरकार की मुश्किलें बढ़ाने वाला कदम उठाया है. 

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एनसीपी इस मुद्दे पर गुरुवार को प्रदर्शन कर रही है. प्रदेश के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की अगुवाई में एनसीपी ने पूरे महाराष्ट्र में मौन धरना कंडक्ट किया है और इसमें हिस्सा भी ले रहे हैं. यानी सरकार के खिलाफ अपने ही सहयोगी दलों की लामबंदी शुरू हो गई है.

एक पत्र के जरिए शुरू हुआ खेल

एनसीपी का ये खेला एक पत्र के जरिए शुरू हुआ है. शिवाजी महाराज की मूर्ति ढहने के बाद से ही हर कोई इसे अपने पक्ष में मुद्दा बनाने की कोशिश में जुटा है. एनसीपी के प्रदेश इकाई चीफ सुनील तटकरे ने पार्टी नेताओं के इस सिलसिले एक पत्र लिखा. इस पत्र में साफ तौर पर आंदलोन शुरू करने को कहा गया था. तटकरे ने पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे मूर्ति गरिने के लिए जो कोई भी जिम्मेदार हो उसके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग करें. 

जाहिर ये मांग और किसी से नहीं बल्कि अपनी ही सरकार से की जा रही है. अब साफ है विधानसभा चुनाव से पहले एनसीपी ने अपने तेवर दिखाना शुरू कर दिए हैं. इससे न सिर्फ शिंदे सरकार की बल्कि प्रदेश में बीजेपी के लिए भी परेशानी खड़ी हो सकती है. 

अजित पवार को लेकर पहले ही अटकलें तेज

बता दें कि बीते कुछ वक्त से अजित पवार को बागी तेवरों को लेकर अटकलें तेज हो गई थीं. इसकी स्क्रिप्ट लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद बने कैबिनेट से ही लिखी जा चुकी थी. जब एनसीपी को कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री का कोई भी पद नहीं मिला. एनसीपी ने इस विरोध भी जताया लेकिन उस वक्त हालात उनके पक्ष में नहीं थे लिहाजा उन्होंने वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाई. 

एनसीपी को पता था कि इसी साल के अंत में विधानसभा चुनाव आएंगे और इस दौरान एक बार फिर अजित पवार अपने रंग में रंग सकते हैं यानी एक बार फिर वह चाचा शरद पवार से हाथ मिलाकर महायुति को परेशानी में डाल सकते हैं.

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पिछले कुछ दिनों से हालात इसी ओर इशारा भी कर रहे हैं क्योंकि समय-समय पर शरद पवार खुद अजित को लेकर पॉजिटिव बयान देते हैं वहीं अजित ने भी इस बीच सुप्रिया सुले को लेकर एक बड़ा बयान दिया था कि उन्होंने चुनाव में उनके खिलाफ अपनी पत्नी को उतारकर गलती की थी.

उनके बयान और कदम लगातार इस बात की ओर से इशारा कर रहे हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले ही प्रदेश में कोई बड़ा खेला हो सकता है और सरकार किसी भी वक्त गिर सकती है. 


बीजेपी के लिए भी चौंकाने वाला कदम

वहीं महायुति की मजबूत कड़ी बीजेपी के लिए एनसीपी के प्रदर्शन वाला कदम चौंकाने वाला है. डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए शिवाजी की मूर्ति ढहने के मुद्दे को राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया है.

साथ ही एनसीपी के कदम पर भी हैरानी जाहिर की है. वहीं शिंदे गुट की शिवसेना भी एनसीपी के विरोध को लेकर परेशान है. क्योंकि विपक्ष के साथ-साथ अपनी सहयोगी पार्टियां ऐसे कदम उठाती है इसका सीधा नुकसान सिर पर खड़े चुनाव में देखने को मिल सकता है. 

बता दें कि महाराष्ट्र में भी चुनाव से पहले शिवाजी की मूर्ति ढहने का मुद्दा काफी हलचल मचा सकता है. ऐसे में समय रहते दलों ने इसको लेकर सही फैसले नहीं लिए तो महायुति को बड़ी नुकसान भी झेलना पड़ सकता है. 

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