Lok sabha Election: देशभर में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में खराब प्रदर्शन के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने महाराष्ट्र में मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा में आरक्षण का पुरजोर समर्थन किया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कांग्रेस-एनसीपी सरकार के मुस्लिम समुदाय को पांच प्रतिशत शैक्षणिक आरक्षण देने के फैसले को बरकरार रखा था. हालांकि, बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया. बता दें कि महाराष्ट्र राकांपा के मुख्य प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा कि हम अपने रुख पर अडिग हैं कि राज्य में मुस्लिम समुदाय को शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए.
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एनसीपी का नया रुख
महाराष्ट्र एनसीपी के मुख्य प्रवक्ता उमेश पाटिल ने बताया कि पार्टी अपनी स्थिति पर अड़ी हुई है कि मुस्लिम समुदाय को राज्य में शिक्षा में आरक्षण मिलना चाहिए. रायगढ़ से नवनिर्वाचित सांसद सुनील तटकरे ने बताया कि पार्टी ने हाल ही में अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की बैठक की, जहां मुस्लिम समुदाय के नेताओं की बात सुनी गई। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर एक और बैठक की जाएगी, जिसके बाद ही किसी ठोस निर्णय पर पहुंचा जाएगा.
मुस्लिमों को जोड़ने की कोशिश
आपको बता दें कि एनसीपी महायुति सरकार का हिस्सा है और वह मुस्लिम समुदाय को शिक्षा में आरक्षण देने के लिए भाजपा और शिवसेना के साथ बातचीत करने की योजना बना रही है. एनसीपी का यह कदम मुस्लिम समुदाय तक अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में उसे दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों के वोट नहीं मिले, जिनके कारण महायुति को भारी नुकसान हुआ.
आगामी विधानसभा चुनाव
वहीं महाराष्ट्र में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. एनसीपी को अपनी जमीन मजबूत रखने के लिए अगले कुछ दिनों में इन वर्गों के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे. लोकसभा चुनाव में एनसीपी ने चार सीटों में से केवल एक सीट जीती है. अजित पवार गुट के नेता और पार्टी के उपाध्यक्ष सलीम सारंग पहले से मुस्लिम आरक्षण की मांग उठा रहे हैं.
एनसीपी में आत्मंथन का दौर
इसके अलावा आपको बता दें कि एनसीपी नेताओं का मानना है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों को डर था कि अगर भाजपा 400 सीटों का आंकड़ा पार कर लेती, तो संविधान में बदलाव कर आरक्षण खत्म कर दिया जाता. एनसीपी का यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी विधायकों ने अजित पवार के साथ बैठक में कहा था कि पार्टी को उस्मानाबाद, बारामती और शिरूर में भारी हार का सामना करना पड़ा. वहां के सारे मुस्लिम मतदाताओं ने महा विकास अघाड़ी के उम्मीदवारों के पक्ष में ही मतदान किया था.
महायुति के खिलाफ मतदान
बताते चले कि एनसीपी नेताओं ने बताया कि संविधान में बदलाव के बाद आरक्षण खत्म होने के डर से मुस्लिम, दलित और आदिवासी मतदाताओं ने महायुति के उम्मीदवारों के खिलाफ मतदान किया. इस कारण महायुति को भारी नुकसान हुआ. एनसीपी का यह रुख महायुति के दूसरे दलों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा है.
राजनीतिक में आ सकता हैं नया मोड़
इसके साथ ही आपको बता दें कि एनसीपी की रणनीति अब मुस्लिम समुदाय के समर्थन को हासिल करने की है. पार्टी का मानना है कि अगर उसे मुस्लिमों का समर्थन मिलता है तो वह आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी. इसके लिए एनसीपी मुस्लिम आरक्षण को एक प्रमुख मुद्दा बना रही है और इसे लेकर भाजपा और शिवसेना के साथ चर्चा कर रही है.
HIGHLIGHTS
- NCP ने उठाई मुस्लिम आरक्षण की मांग
- नई सरकार बनते ही बदलने लगे सुर
- मुस्लिम आरक्षण मांगने के पीछे क्या है राजनीतिक एंगल
Source : News Nation Bureau