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शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से कर दी बड़ी मांग, सियासी हलचल तेज

शरद पवार की एनसीपी की इस याचिका ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है. पार्टी का मानना है कि समान प्रतीकों का उपयोग मतदाताओं में भ्रम पैदा करता है और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को खतरे में डालता है.

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Ritu Sharma
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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव( Photo Credit : News Nation )

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Maharashtra Assembly Polls: महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक सरगर्मी बढ़ती जा रही है. इस बीच, शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने चुनाव आयोग से कुछ प्रतीकों (सिंबल) को हटाने या उनकी पुनः समीक्षा करने का आग्रह किया है. शरद पवार की पार्टी का दावा है कि कुछ सिंबल भ्रामक रूप से उनके आधिकारिक सिंबल 'तुरहा' के समान हैं, जिससे मतदाताओं में भ्रम पैदा हो रहा है और चुनाव परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.

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एनसीपी की याचिका, समान प्रतीकों से मतदाताओं में भ्रम

एनसीपी (शरदचंद्र पवार) ने अपनी याचिका में कहा है कि निर्दलीय उम्मीदवारों को 'तुरही' या 'तुतारी' जैसे मिलते-जुलते सिंबल आवंटित करने से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है. एनसीपी ने तर्क दिया कि यह स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के सिद्धांत के खिलाफ है. पार्टी का मानना है कि लोकसभा चुनावों में समान प्रतीकों ने मतदाताओं को भ्रमित कर दिया, जिससे कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में पार्टी के प्रदर्शन पर असर पड़ा.

'तुरहा' सिंबल का मुद्दा

वहीं चुनाव आयोग ने पार्टी के अंदर विभाजन के बाद लोकसभा चुनाव से पहले एनसीपी (एसपी) को 'तुरहा बजाते हुए व्यक्ति' चुनाव सिंबल के तौर पर सौंपा था. शरद पवार की पार्टी का कहना है कि यह प्रतीक उनके लिए महत्वपूर्ण है और समान प्रतीकों का उपयोग करने से मतदाताओं में भ्रम पैदा हो रहा है, जिससे उनके प्रत्याशियों को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

एनसीपी की मांग: तात्कालिक कार्रवाई की जरूरत

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, एनसीपी (एसपी) ने अपनी याचिका में चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि वह महाराष्ट्र में अक्टूबर में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों के लिए फ्री सिंबल की सूची से 'तुरही' या 'तुतारी' प्रतीक को तुरंत वापस ले या बाहर कर दे. पार्टी ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता और अखंडता को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया.

भ्रामक सिंबल के प्रभाव का उदाहरण

इसके साथ ही आपको बता दें कि महाराष्ट्र के 9 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के आंकड़ों का हवाला देते हुए, एनसीपी (एसपी) ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे भ्रामक सिंबल के कारण अपेक्षाकृत अज्ञात उम्मीदवार भी जीत गए. पार्टी ने उदाहरण के तौर पर सतारा सीट का जिक्र किया, जहां निर्दलीय उम्मीदवार संजय गाडे, जिन्होंने 'ट्रंपेट' चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा, 37,062 वोट हासिल किए. इससे एनसीपी (एसपी) के उम्मीदवार शशिकांत शिंदे 32,771 वोटों के मामूली अंतर से हार गए. विजयी उम्मीदवार बीजेपी के उदयनराजे भोसले को 5,71,134 वोट मिले.

महाविकास अघाड़ी का प्रदर्शन

आपको बता दें कि हाल के लोकसभा चुनावों में महाविकास अघाड़ी ने 30 सीटों पर जीत दर्ज की है. एमवीए के घटक दल के रूप में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने दस सीटों में से 8 पर जीत हासिल की है. महाराष्ट्र में लोकसभा की कुल 48 सीटें हैं और एनसीपी का यह कदम चुनाव में उनकी स्थिति को और मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है.

HIGHLIGHTS

  • शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग से कर दी बड़ी मांग
  • NCP की याचिका, समान प्रतीकों से मतदाताओं में भ्रम
  • महाराष्ट्र में सियासी हलचल तेज 

Source : News Nation Bureau

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