Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है. एनसीपी नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार ने खुद को नेता विपक्ष पद से हटाने की मांग की है. उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) सुप्रीमो शरद पवार से मांग की है कि उन्हें नेता विपक्ष पद से मुक्त कर पार्टी में कोई पद दे दें. पार्टी में जो भी नई जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. वह उसका सम्मान करेंगे. अजित पवार के इस बयान के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि अजित पवार ने सियासी दांव चल कर प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं.
दरअसल, हाल ही में NCP प्रमुख शरद पवार ने बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को नया कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है. इसके अलावा कई अन्य नेताओं को भी नई जिम्मेदारी सौंपी गई है. हालांकि, अजित पवार के लिए नई घोषणा नहीं की गई थी. इस बदलाव से अजित पवार की नाराजगी के कयास लगाए जा रहे थे. हालांकि, पवार ने खुद इन सभी खबरों को खारिज कर दिया था.
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क्या प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं अजित पवार
एनसीपी के स्थापना दिवस के मौके पर अजित पवार के इस बयान से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. क्या अजित पवार महाराष्ट्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष बनना चाहते हैं क्योंकि पिछले पांच साल से जयंत पाटिल इस पद पर काबिज है. जबकि पार्टी के संविधान के मुताबिक, हर तीन साल में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होना तय है, लेकिन पाटिल का कार्यकाल पांच साल का हो चुका है. फिर भी वह इस पद पर बने हुए हैं. तो क्या अजित पवार चाहते हैं कि अब पाटिल को हटाकर उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाए. हालांकि, 4 जून को एनसीपी संगठन में हुए बड़े बदलाव में अजित पवार को कोई नई जिम्मेदारी नहीं दी गई थी. ऐसे में लोकसभा चुनाव से पहले अजित पवार का यह बयान अपने आप में मायने रखता है.
केसीआर को हल्के में ना लें पार्टी- अजित पवार
अजित पवार ने नेता प्रतिपक्ष पद से हटने के अलावा कहा आगामी चुनाव में वंचित बहुजन अघाड़ी और तेलंगना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की पार्टी भारत राष्ट्र समिति भी महाराष्ट्र में एंट्री करने जा रही है. इसे हमें हल्के में नहीं लेना चाहिए.