गढ़चिरौली जिले के आखरी टोंक पर याने सिरोंचा तहसील के जिमलगट्टा निवासी 2 मासूम बच्चो को बुखार आता है, लेकिन उन दोनों मासूमो को डॉक्टर के पास नही बल्कि अहेरी तहसील के पत्तिगाव में किसी मांत्रिक के पास लेकर जाते है, मांत्रिक इलाज के नाम पर कुछ जड़ी बूटियां दोनों मासूमो को देता है, जड़ी बूटी का सेवन करने से रमेश वेलादी नामक शख्स के दोनों बेटे जिनमे से एक का नाम बाजीराव है, जिसकी उम्र 6 साल बताई है रही है, तो दूसरा बेटा जिसका नाम दिनेश है, जिसकी आयु महज साढ़े 3 साल है, दोनों की हालत काफी नाजुक हो गई, आननफानन में दोनों को जिमलगट्टा के सरकारी अस्पताल (PHC) में लाया जाता है, लेकिन दोनों मासूमो को डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया.
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मांत्रिक की दी जड़ी बूटी खाने से तबियत बिगड़ गई
गढ़चिरौली जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्र की हम बात करे तो जिमलगट्टा के सरकारी अस्पताल में जब दोनों मासूम बच्चों की तबियत मांत्रिक की दी जड़ी बूटी खाने से बिगड़ गई, तब लाया गया था. जहां उन्हें डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. मगर यहां शव को ले जाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं थी, ऐसे में उस दुखियारे पिता को, जिसके 2 मासूम बच्चे मांत्रिक के गलत जड़ी बूटी देने से मर गए.
स्वस्थ विभाग को कटघरे में खड़ा करती है
उस पिता को जिमलगट्टा के सरकारी अस्पताल (PHC)से एम्बुलेंस उपलब्ध ना होने से दोनों बच्चो के शव कंधे पर लादकर 15 किमी का पैदल सफर पूरा करना पड़ा. गढ़चिरौली से आई यह तस्वीर रोंगटे खड़े कर देने वाली है, जो स्वस्थ विभाग को कटघरे में खड़ा करती है, तो यहां गढ़चिरौली में खुलेआम अंधश्रद्धा का बाजार लगता है. जिसमें इन जैसे मासूमो की जान जाती है, फिर भी प्रशासन मौन है.