Maharashtra Assembly Elections 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नजदीक आते ही विपक्षी महाविकास अघाड़ी (MVA) के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर तकरार तेज हो गई है. मुंबई की 36 विधानसभा सीटों को लेकर प्रमुख दलों के बीच खींचतान जारी है. इस गठबंधन में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (UBT), शरद पवार की एनसीपी (SP) और कांग्रेस शामिल हैं, लेकिन मुंबई की सीटों पर तालमेल बिठाना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है.
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उद्धव गुट की 21 सीटों पर दावेदारी
वहीं सूत्रों के अनुसार, उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) ने मुंबई की 36 सीटों में से 21 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी है. पार्टी ने इस मामले में आंतरिक योजना भी बना ली है और कुछ सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए काम कर रही है. पार्टी की इस मांग ने अन्य सहयोगी दलों, खासकर कांग्रेस में असंतोष पैदा किया है.
शरद पवार की 7 सीटों की मांग
आपको बता दें कि शरद पवार की एनसीपी (SP) भी मुंबई की सात प्रमुख सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है. इनमें अंधेरी वेस्ट, वर्सोवा, कुर्ला, अणुशक्ति नगर, दहिसर, घाटकोपर ईस्ट और घाटकोपर वेस्ट शामिल हैं. शरद पवार की यह मांग कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इससे कांग्रेस को मात्र 8 सीटें ही मिलेंगी, जिससे वह नाराज है.
कांग्रेस की नाराजगी और बालासाहेब थोराट का दावा
साथ ही आपको बता दें कि कांग्रेस पार्टी को 8 सीटों पर सीमित करने की योजना ने पार्टी में नाराजगी बढ़ा दी है. इस बीच, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोराट ने एक बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि MVA आगामी विधानसभा चुनाव में 288 में से 180 से अधिक सीटें जीतने में सफल होगी. थोराट ने यह भी बताया कि अब तक 125 सीटों पर आम सहमति बन चुकी है और शेष सीटों पर अभी भी बातचीत जारी है.
आगामी चुनाव और रणनीति
इसके अलावा आपको बता दें कि महाराष्ट्र में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है. इस समय सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं. महाविकास अघाड़ी में भले ही सीट बंटवारे और मुख्यमंत्री पद को लेकर मतभेद हों, लेकिन इसके नेता आगामी चुनावों में गठबंधन की जीत का दावा कर रहे हैं. हालांकि, सीट बंटवारे पर सहमति बनने तक गठबंधन के भीतर तनाव बरकरार रह सकता है, जिससे इसका असर चुनावी तैयारियों पर पड़ने की आशंका है.
बहरहाल, महाविकास अघाड़ी के लिए यह चुनावी चुनौती इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्ता में वापसी के लिए तीनों दलों को एकजुट होकर काम करना होगा, जबकि सीट बंटवारे की मौजूदा खींचतान इस एकता पर सवाल खड़े कर रही है.