महाराष्ट्र में नासिक के पास एक गांव में बून्द बून्द पानी के लिए महिलाओं को हर रोज जान की बाजी लगानी पड़ती है. ब्रह्मगिरि पर्वत के गोद में बसने वाले मेटघर गाँव की पानी की कहानी बहुत डराने वाली है. पानी के लिए खतरे में जिंदगानी यह कहानी है मुंबई से करीब 170 किलोमीटर दूर नासिक के पास ब्रह्मागिरी पहाड़ की गोद में बसे एक गांव की, ' तस्वीर देखकर आप भी हैरान रह जाएंगे कैसे एक मटके पानी के लिए इस गांव की महिलाएं जान की बाजी लगा रही हैं. कुछ दिन पहले इसी से जुड़ा एक वीडियो वायरल हुआ था वीडियो को देखने के बाद न्यूज़ नेशन यह फैसला किया कि हम खुद उस गांव में जाएंगे जहां बूंद बूंद पानी के लिए महिलाएं जान की बाजी लगा रही है. देखिये हमारी ये खास रिपोर्ट -
मेटघर किल्ला गाँव तक पहुँचने के लिए हमें 7 से 8 किलोमीटर पहाड़ चढना था। महाराष्ट्र में गर्मी की लहर यानी कि Heat Wave का अलर्ट है ऐसे में जिस गाँव में पानी की इतनी परेशानी है उनकी परिस्थितियों को जानने के लिए हम लगातार पहाड़ चढ़ रहे थे. रास्ते में ना तो कही कुवां था और नाही कोई नदी तालाब पहाड़ों से बहने वाले झरने भी सुख गए थे. आखिरकार हम गाँव तक पहुँच ही गए। समुद्र स्तर से 4200 फ़ीट ऊपर ब्रह्मगिरि पर्वत पर प्रकृति की गोद में बसा ये गाँव जितना सुंदर था यहां के लोगों की समस्या उतनी विकट थी. इस गाँव में पानी की समस्या को लेकर जितना हमने सुना था परेशानी उससे कई ज्यादा थी. कड़ी धूप में बिना चप्पल महिलायें पानी भरते जाते दिखी। जो गाँव से करीब 2 किलोमीटर दूर कुवें की तरफ जा रही थी.
अब हमें उस कुएं को देखना था जिसको देखने के लिए हम मुम्बई से यहां तक आये थे. जो नाशिक हर साल बाढ़ ग्रस्त हो जाता है. जिस ब्रह्मगिरि पर्वत से होकर गोदावरी और वेतरना नदी बहती है वहां एक ऐसा गाँव भी ये देखकर हम हैरान थे. कुवें तक पहुँचने के साथ ही जो तस्वीर हमने देखी वो और ज्यादा डराने वाली थी. ये तस्वीर हैरान करने वाली थी. जो कुवां पूरा सूख चुका था और अब सिर्फ मिट्टी वाला पानी ही दिखाई दे रहा था उस पानी के लिए भी यहां की महिलाएं जान का जोखिम उठा रही थी. इस कुवां के अंडर उतरना कितना चुनौती भरा है ये बाहर से देखकर नही समझा जा सकता है लिहाजा न्यूज़ नेशन संवाददाता पंकज मिश्रा ने भी कुएं के अंदर जाने की कोशिश की पर ये जितना कठिन दिखता है उससे कई ज्यादा मुश्किल और खतरनाक है.
हमने उन बहादुर महिलाओं से भी बात की जो अपनी जानजोखिम में डालकर कुएं के अंदर गयी थी. ताकि वो अपना और गाँव की दूसरी महिलाओं की पानी की जरूरत को पूरा कर सके. इस गाँव की बुजुर्ग महिलाओं की माने तो पानी की ये परेशानी यहां सदियों से है. इस गाँव तक सिर्फ चुनाव के समय लोग आते हैं झूठे वादे करके इनसे वोट ले लेते हैं और फिर 5 साल दिखाई भी नही देते. मेटघर गाँव में पानी की समस्या कितनी बड़ी है इसका अन्दाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि यहां के जवान लड़कों को कोई शादी के लिए अपनी बेटी तक नही देता इस गाँव के कुँवारे लड़के अपने नसीब को कोसते भी दिखे.
Source : News Nation Bureau