महाराष्ट्र के नासिक त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है. मान्यता है कि दर्शन मात्र से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. काल सर्प पूजा करने से काल सर्प और पित्तु ऋण और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है. पेशवा काल मे पेशवा शासकों ने त्र्यम्बकेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था. ब्रह्मगिरी पर्वत से घिरा यह ज्योतिर्लिंग दक्षिण की गंगा कही जाने वाली गोदावरी नदी का उदगम स्थल भी यही है.
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त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मे एक ही जगह तीन शक्तियां ब्रह्मा विष्णु और महेश के एक साथ दर्शन होते हैं. जिनका अभिषेक मां गोदावरी करती हुई नजर आती हैं, महाशिवरात्रि पर्व पर देश भर से श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं. हर कोई भगवान शिव के दर्शन कर बेलपत्र पुष्प अर्पित कर मन चाहा आशीर्वाद पाना चाहता है. मंदिर प्रशासन द्वारा भारी भीड़ को देखते हुये दर्शन के लिये तीन रास्ते बनाये हैं. पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के मद्देनजर हर श्रद्धालु की जांच की जा रही है. नारियल को मंदिर के बाहर ही फोड़ने के आदेश दिये गये हैं.
Source : News Nation Bureau